22 Oct 2024
टीनएज यानी किशोरावस्था के दौरान बच्चों में शारीरिक और मानसिक बदलाव देखने को मिलते हैं. आमतौर पर बच्चे इस उम्र में करियर और पेरेंट्स की उम्मीदों के दबाव में रहते हैं, जिसका उनकी मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है.
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आज हम आपको बताएंगे कि टीनएज बच्चों के बदले हुए व्यवहार से कैसे डील करना चाहिए ताकि उनका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित ना हो.
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टीनएज में बच्चे अपनी लाइफ में थोड़ा फ्रीडम चाहते हैं. ऐसे में माता-पिता को अपने बच्चों को उनके फैसले खुद लेने की आजादी देना चाहिए और उनकी प्राइवेसी में दखल नहीं देना चाहिए.
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टीनएज में बच्चों को किसी भी काम का ऑर्डर देने की जगह सलाह देना चाहिए. दरअसल, बच्चों पर अपने फैसले थोपने से वे अक्सर पेरेंट्स से दूरी बना लेते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी सुनने वाला कोई नहीं है.
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टीनएज में बच्चे खुद को बड़ा महसूस करते हैं और जीवन में अपने अनुसार चलना चाहते हैं. ऐसे में उनकी बात को समझें और वो जैसा चाहते है, उनके विचारों का सम्मान करते हुए जीवन में उसके मुताबिक चलने की कोशिश करें.
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टीनएज में बच्चों को बेवजह टोकना गलत है, क्योंकि इससे वे गुस्सैल स्वभाव के बन जाते हैं. वहीं, पेरेंट्स को बच्चों से प्यार से पेश आना चाहिए और किसी दूसरे के सामने बच्चे की कमिया खोजने की जगह उसे प्रोत्साहित करना चाहिए.
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मन ही मन कई तरह की चिंताओं से जूझ रहे टीनएजर्स को जीवन में कई कारणों से तनाव का सामना करना पड़ता है. ऐसे में बच्चों की परेशानी को समझते हुए उनके साथ किसी भी तरह की बहस करने से बचें, क्योंकि स्ट्रेस की वजह से टीनएजर्स डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं.
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