केले में खूब सारा पोटैशियम, फोलेट, कार्ब और ट्रिप्टोफैन होता है. इसलिए ये शरीर के लिए सेहतमंद माना जाता है.
पोषक तत्वों से भरपूर होने के बावजूद कुछ खास तरह के केले सेहत के लिए अच्छे नहीं माने जाते हैं.
केले के पकने की एक प्रक्रिया के तहत ये पता लगाया जाता है कि कौन सा केला शरीर के लिए अच्छा है और किस तरह के केले खाने से बचना चाहिए.
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, ज्यादा पके केले सबसे बेकार होते हैं.
इनके छिलकों पर भूरे रंग के धब्बे आने से इनके हेल्दी स्टार्च कम होने लगते हैं और ये शुगर में बदल जाते हैं.
जरूरत से ज्यादा पके केलों में फाइबर की मात्रा भी कम होती है. इनमें सिर्फ 1.9 ग्राम फाइबर पाया जाता है जबकि पीले केले में 3.1 ग्राम फाइबर होता है.
ज्यादा पके हुए केले में विटामिन A, B6 और विटामिन K की मात्रा भी कम होती है. ब्लड ग्लूकोज स्तर बढ़ाने के लिए पके केले खाए जा सकते हैं.
भूरे रंग के केले की तुलना में पीले रंग के केले सेहत के लिए अच्छे माने जाते हैं.
ये ना सिर्फ खाने में स्वादिष्ट होते हैं बल्कि इनमें सभी तरह के पोषक तत्व वैसे ही मौजूद होते हैं.
हरे केले या बिल्कुल कम पके केले सबसे अच्छे माने जाते हैं क्योंकि इनमें शुगर की मात्रा बहुत और रेजिस्टेंट स्टार्च की मात्रा ज्यादा होती है.
इसे खाने से जल्दी भूख नहीं लगती है और आप बार-बार खाने से बच जाते हैं.
खासतौर से वेट लॉस के लिए हरे केले सबसे अच्छे माने जाते हैं.
इसमें शॉर्ट-चेन फैटी एसिड (SCFA) होता है जो आंतों को स्वस्ठ रखता है.
हरे केले का आटा बनाकर या फिर इसकी स्मूदी बनाकर आप पी सकते हैं.