रोना एक मानवीय भावना है. दुनिया में सभी लोग कभी न कभी अपनी खुशी या दुख जाहिर करने के लिए रोए जरूर होंगे.
हालांकि, कुछ लोग ऐसे होते हैं जो हर छोटी-छोटी बात पर रोने लगते हैं. ऐसे लोग हाइली सेंसिटिव होते हैं.
जो लोग अक्सर छोटी-छोटी बातों पर रोने लगते हैं उन्हें सतर्क होने की जरूरत है. आइए जानते हैं क्यों.
मनोविज्ञान की मानें तो तेज आवाज़, नकारात्मक विचार और खुद को दूसरों से कमतर आंकना रोने का कारण बनता है. ऐसे में व्यक्ति खुद को कमज़ोर और असहाय महसूस करने लगते हैं.
इसी के साथ अवसाद और पास्ट को ना भूल पाना रोने का कारण होता है.
जब कोई व्यक्ति अवसाद में होता है तो उसे हर छोटी-छोटी बातों पर रोना आता है. डिप्रेशन की वजह से व्यक्ति अक्सर उदास रहता है जिस वजह से उसे छोटी-छोटी बातों पर रोना आ जाता है.
अगर आप भी खुद को हर वक्त उदास पाते हैं और छोटी-छोटी बातों पर रोना शुरू कर देते हैं तो एक बार मनोवैज्ञानिक से जरूर संपर्क करें.
कई लोग ऐसे होते हैं जो किसी भी बात को आसानी से नहीं भूल पाते. वो सालों साल अपने पास्ट में उलझे रहते हैं. इस वजह से वो अक्सर भावुक रहते हैं और छोटी-छोटी बातों पर रोने लगते हैं.
पास्ट में उलझे रहने की वजह से लोग अक्सर परेशान रहते हैं और आज पर फोकस नहीं कर पाते हैं.