क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आपने किसी बात पर ओवर रिएक्ट किया हो जबकि उसी बात को किसी दूसरे ने नजरअंदाज कर दिया हो?
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ऐसा हम सबके साथ ही कभी न कभी हुआ होता है. ओवर रिएक्ट करना तब कहलाता है जब आपका रिएक्शन समस्या से कहीं अधिक हो.
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ओवर रिएक्ट करने का अर्थ है भावनात्मक प्रतिक्रिया करना या किसी बात पर जरूरत से ज्यादा रिएक्ट कर देना. ये ढेर इमोशंस या बहुत अधिक तनाव की वजह से हो सकता है.
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वजह कई हो सकती हैं लेकिन ओवर रिएक्ट करना चीजों को और उलझा सकता है और हमारी जिंदगी के सुकून को कम या खत्म कर सकता है. आइये जानते हैं, इससे बचने के टिप्स.
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ओवर रिएक्ट करने से बचने के लिए सबसे सरल और सबसे प्रभावी तरीका ये है कि जब आपके इमोशंस आप पर हावी हो रहे हों तो बातचीत करने या कुछ भी कहने से बचें. गहरी सांस लें और खुद को शांत करें.
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एक शांत जगह ढूंढें और खुद को सोचने के लिए कुछ वक्त दें. यह आवेग में आकर देने वाली प्रतिक्रियाओं को रोकेगा और आप संतुलित प्रतिक्रिया दे पाएंगे.
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ओवर रिएक्शन अक्सर किसी स्थिति की गलत व्याख्या से उत्पन्न होता है. आप क्या सोच रहे हैं, इसका विश्लेषण करने के लिए कुछ समय निकालें. क्या आप जो सोच रहे हैं वो असल में है या ये बस आपकी सोच है.
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Mindfulness का मतलब स्थिति को पूरी तरह समझना शामिल है, जिसमें आप बिना जज किए पहले स्थिति को समझते हैं. मेडिटेशन और ब्रीदिंग एक्सरसाइज आपकी भावनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ सकती है.
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उस बात की पहचान करें, जो आपको ट्रिगर करती है. हो सकता है कि किसी खास परिस्थिति या लफ्ज़ से आप ओवर रिएक्ट कर जाते हों. इसकी पहचान करें और इससे बचने की कोशिश करें.
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कम्यूनिकेशन में कमी के चलते भी ओवर रिएक्शन सामने आता है. अपने विचारों और भावनाओं को दृढ़तापूर्वक और सम्मानपूर्वक व्यक्त करके अपनी कम्यूनिकेशन स्किल में सुधार करें.
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हर रिश्ते में एक तय बाउंड्री होना बहुच जरूरी है. बाउंड्री के चलते कोई भी आपको कुछ भी नहीं कह पाता. इसके चलते ओवररिएक्शन की स्थिति कम बनती है.
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