भारतीय खानपान में किसी भी चीज का स्वाद बढ़ाने के लिए, तलने के लिए और भूनने के लिए तेल का इस्तेमाल खूब होता है.
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यही वजह है कि तेल भारतीय खानपान की मुख्य सामाग्री है, लेकिन ज्यादा तेल खाने का स्वाद भले ही बढ़ाए, यह लोगों का स्वास्थ्य खराब करता है.
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खासकर भारतीय भोजन में इस्तेमाल होने वाले साधारण तेल को पोषण विशेषज्ञ अच्छा नहीं मानते हैं.
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एक्सपर्ट का मानना है कि ऑलिव पोमेस ऑयल यानी जैतून का तेल स्वास्थ्य के लिहाज से बाकी तेलों के मुकाबले बेहतर है. ऑलिव पोमेस ऑयल में कई विशेषताएं हैं जो भारतीय व्यंजनों के स्वाद को भी बढ़ाती हैं और सेहत का भी ख्याल रखती हैं.
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आइए जानते हैं कि ऑलिव पोमेस ऑयल भारतीय व्यंजनों के लिए पोषण विशेषज्ञों की पहली पसंद क्यों है.
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पोषण विशेषज्ञ इस तेल की सिफारिश इसलिए करते हैं क्योंकि ये मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड से भरपूर है. ये खराब कोलेस्ट्रॉल स्तर को कम और अच्छे कोलेस्ट्रॉल स्तर (एचडीएल) को बढ़ाते हैं जिससे संभावित रूप से हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा कम होता है.
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ऑलिव पोमेस ऑयल का हाई स्मोक प्वॉइंट लगभग 238 डिग्री C (460 डिग्री F) है जो इसे कई अन्य तेलों से अलग करता है. इसलिए ये डीप फ्राई के लिए अच्छा माना जाता है.
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हाई स्मोकिंग की वजह से यह पोषक तत्वों को नष्ट किए बिना और हानिकारक रसायनों के उत्पादन के बिना तेज आंच को सहन कर सकता है जिससे यह तलने, भूनने और डीप-फ्राइंग के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ विकल्प माना जाता है.
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एंटीऑक्सिडेंट्स शरीर के लिए जरूरी हैं और ऑलिव पोमेस ऑयल विटामिन ई और पॉलीफेनोल्स जैसे एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होता है जो सूजन को रोकता है जिससे क्रॉनिक डिसीस का खतरा भी कम होता है.
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पोषण विशेषज्ञ तेल को इसके लाइट टेक्स्चर के लिए भी पसंद करते हैं इसलिए इसे केवल थोड़ी मात्रा में उपयोग करने की जरूरत होती है. खानों में इसकी कम खपत भी इस तेल को एक स्वस्थ विकल्प बनाती है.
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ऑलिव पोमेस ऑयल में वर्जन और एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल के विपरीत एक न्यूट्रल टेस्ट होता है. यह विशेषता भारतीय व्यंजनों के स्वादों को सामने लाने के लिए काफी फायदेमंद है.
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इस खबर में बताए गए सुझाव सामान्य जानकारी पर आधारित हैं इसलिए किसी भी उपचार/दवा/डाइट को अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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