बच्चों के पहले शिक्षक उनके पैरेंट्स होते हैं जो उनके शारीरिक और मानसिक विकास में अहम भूमिका निभाते हैं. बचपन में बच्चों को कुछ सामान्य सी लगने वाली बातें सिखाना माता-पिता के लिए बेहद जरूरी है.
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बच्चे को दूसरों की बातें ध्यान से सुनना सिखाएं. बीच में टोकने की आदत से उसे बचाएं ताकि वो बड़ा होकर एक अच्छा सुनने और बोलने वाला बन सके और दूसरों के प्रति उसके मन में सम्मान की भावना आए.
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बच्चे को सिखाएं कि दूसरों से बात करने के लिए सम्मानजनक शब्दों का इस्तेमाल करें. उन्हें सिखाएं कि अगर वो गुस्से में हैं तब भी कैसे शांतिपूर्ण तरीके से अपने मतभेदों को सही शब्दों के जरिए रख सकते हैं.
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बहुत से बच्चों की आदत होती है कि वो खेल के दौरान अपनी बारी को लेकर एक-दूसरे से भिड़ जाते हैं. अपने बच्चे को सिखाएं कि वो बातचीत, खेल या किसी भी एक्टिविटी में अपनी बारी का इंतजार करे और दूसरों को भी मौक दे.
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बच्चे को शेयर करना सिखाएं. उन्हें भौतिक चीजें शेयर करना सिखाने के साथ ये भी सिखाएं कि वो अपना समय, अटेंशन भी दूसरों के साथ शेयर करें.
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बच्चे को शुरू से ही जिम्मेदारी का अहसास कराने के लिए उन्हें साफ-सफाई करने की आदत डालें. खाने के बाद टेबल साफ करना, इस्तेमाल के बाद जूते-कपड़े सही जगह पर रखना जैसी चीजों की आदत डालें.
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बच्चे को शुरू से ही यह बात सिखाएं कि वो बिना परमिशन दूसरों की चीजों को न ले, किसी के कमरे में जाने से पहले परमिशन ले.
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बच्चे को साफ रहना सिखाएं न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी. बच्चे को हाथ धोना, खांसते या छींकते वक्त रुमाल का इस्तेमाल करना, आसपास को साफ रखना सिखाएं.
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अपने बच्चे को सिखाएं कि वो दूसरों के प्रति मदद की भावना रखे. इससे बच्चा बड़ा होकर जरूरतमंदों के प्रति मददगार रहेगा और एक अच्छा इंसान बनेगा.
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