400 कारों का मालिक हैं ये नाई...Rolls Royce से जाता है बाल काटने, ऐसी है लाइफ

28 September 2023

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बेंगलुरु में एक ऐसे हेयर ड्रेसर (नाई) हैं, जिनके पास 400 गाड़ियां हैं. वह रोल्स रॉयस में बैठकर अपने सलून जाते हैं.

400 कारों के मालिक

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रमेश बाबू के पिता पी. गोपाल बेंगलुरु में सलून के मालिक थे. जब रमेश सिर्फ 7 साल के थे तब उनके  पिता का निधन हो गया था और फिर रमेश ने ही सलून संभाला.

पिता का था सलून

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रमेश 12 वीं क्लास में फेल हो गए थे. फैमिली कंडिशन सही ना होने के कारण उन्होंने मात्र 16 साल की उम्र में ही काम शुरू कर दिया था.

सलून का काम संभाला

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आज रमेश बाबू का नाम देश के सबसे अमीर बार्बर में आता है. वह अपने सलून पर लोगों के बाल काटने के लिए अपनी 3.5 करोड़ की गाड़ी से जाते हैं.

सबसे अमीर बार्बर

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रमेश कहते हैं कि वह लोगों के बाल काटना नहीं छोड़ सकते क्योंकि ये उनका मुख्य काम है. रमेश भले ही सलून रोल्स रॉयस जैसी लग्जरी गाड़ियों से आते हैं लेकिन वह बाल काटने के सिर्फ 150 रुपये लेते हैं.

हेयरकट करना कभी नहीं छोड़ेंगे

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इतने अमीर होने के बाद भी रमेश बाबू काफी सिंपल लाइफस्टाइल जीते हैं. वह आज भी साधारण रहन-सहन और खान-पान में विश्वास रखते हैं.

सिंपल लाइफस्टाइल

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रमेश बाबू ने इंटरव्यू में बताया था कि भले ही मेरे पास कितना पैसा आ जाए लेकिन मैंने जो बचपन से स्ट्रगल देखा है, उसे कभी नहीं भूल सकता. पैसा आने के बाद भी मैं हमेशा सिंपल रहूंगा.

साधारण लाइफस्टइल पसंद

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रमेश टूर्स एंड ट्रैवल्स के मालिक रमेश बाबू लग्जरी कारों के शौकीन हैं और 30 साल से अधिक समय से महंगी कारों का कलेक्शन कर रहे हैं.

ट्रैवल कंपनी के मालिक

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रमेश बाबू एक रोल्स रॉयस घोस्ट, 11 मर्सिडीज-बेंज, 10 बीएमडब्ल्यू, 3 ऑडी और 2 जगुआर समेत 400 गाड़ियों के मालिक हैं. इनमें 120 से अधिक लग्जरी गाड़ियां हैं. उनका कार रेंटल का बिजनेस भी है और वे इन कारों को वो किराए से देते हैं.

कार कलेक्शन

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रोल्स रोयस को वह रोजाना 50 हजार रुपये दिन के हिसाब से किराये पर देते हैं.

रोल्स रोयस का किराया

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रमेश बाबू ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया, 'मैंने 16 साल की उम्र से काम करना शुरू कर दिया था. मैं लोगों के घरों में दूध और न्यूजपेपर डालने जाता था.'

पेपर बांटने का किया काम

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'मुझे उस समय हर महीने 100 रूपये मिलते थे. 18 साल की उम्र में मैंने पिताजी के सलून का काम अपने जिम्मे ले लिया था. मेरे सलून में इतने लोग आते थे कि सुबह से रात 2 बजे तक मैं काम करता था.'

2 बजे तक करते हैं काम

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'कुछ अलग करने के लिए मैंने 1993 में एक पर्सनल यूज के लिए एक गाड़ी लोन से खरीदी. इसके 2-3 महीने बाद भी मेरे पास लोन भरने के पैसे नहीं आए.'

लोन से खरीदी थी गाड़ी

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'रमेश की मां की दोस्त ने उन्हें कार किराए से चलाने की सलाह दी. इसके बाद रमेशा का बिजनेस चल निकला.'

बिजनेस चल निकला

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