तांबे के बर्तन में पानी पीना काफी फायदेमंद माना जाता रहा है. इस कारण पिछले कुछ सालों में तांबे के गिलास, लोटा, बोतल बनाने वाली कंपनियों की बिक्री काफी बढ़ गई है.
तांबे में कई सारे मिनरल्स पाए जाते हैं जो शरीर के काफी फायदेमंद माने जाते हैं जिसमें रेड ब्लड सेल्स के प्रोडक्शन से हड्डियों को मजबूत रखना भी शामिल है.
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Healthline के मुताबिक, तांबे के बर्तन में पानी पीने से फायदे तो होते ही हैं लेकिन कुछ नुकसान भी हो सकते हैं.
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रिसर्च बताती हैं कि तांबे की अधिक मात्रा लंबे समय तक शरीर में जाने से कॉपर टॉक्सीसिटी हो सकती है जिसके कारण मतली, उल्टी, पेट दर्द और दस्त जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
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रिसर्च के मुताबिक, कॉपर टॉक्सीसिटी तब होती है जब तांबे वाले बर्तन में अधिक समय तक रखे हुए पानी को पिया जाए. इससे तांबे की अधिक मात्रा पानी में घुल जाती है.
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कॉपर टॉक्सीसिटी के साइड इफेक्ट से लीवर डैमेज और किडनी की बीमारी भी हो सकती है. WHO का कहना है कि पानी में 2 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक कॉपर तांबा नहीं होना चाहिए.
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रिसर्च के मुताबिक, कॉपर टॉक्सीसिटी तब होती है जब तांबे वाले बर्तन में अधिक समय तक रखे हुए पानी को पिया जाए. इससे तांबे की अधिक मात्रा पानी में घुल जाती है.
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लेकिन जब तांबे के बर्तनों में 16 घंटे तक पानी रखने की बात आती है तो रिसर्च ने साबित किया है कि उसमें तांबे की मात्रा WHO द्वारा बताई गई तांबे की मात्रा से काफी कम है.
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रिसर्च सुझाव देती हैं कि आप तांबे के पानी का सेवन रोजाना 3 कप यानी 710 एमएल से अधिक ना करें.
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न्यूट्रिशनिस्ट किरण कुकरेजा ने इंस्टाग्राम पोस्ट में बताया कि दिन भर तांबे के बर्तन में रखा पानी पीना, तांबे के बर्तन में नींबू और शहद मिले पानी का सेवन करना और तांबे के बर्तन को नियमित रूप से धोने से तांबे के गुण कम हो जाते हैं और फायदे की जगह आपको नुकसान हो सकता है.
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तांबे के अधिक सेवन से लंबे समय में तांबे की विषाक्तता हो सकती है. हालांकि, तांबे के बर्तनों में रखे पानी में घुलने वाले तांबे की मात्रा सुरक्षा सीमा से कम है.
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