By: Aajtak.in

'बाबू-सोना-जानू' जैसे नामों से एक-दूसरे को क्यों बुलाते हैं कपल्स? डॉ. विकास दिव्यकीर्ति से जानें

By-Mradul Singh Rajpoot

UPSC की तैयारी कराने के लिए देश में कई कोचिंग संस्थान हैं, जहां कई टीचर्स उन्हें पढ़ाते हैं. 

UPSC की तैयारी

(Credit: Instagram)

UPSC की तैयारी कराने वाले एक टीचर का नाम है, डॉ. विकास दिव्यकीर्ति (Dr Vikas Divyakirti). उनके मोटिवेशन वीडियो और रील्स काफी वायरल होती हैं.

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डॉ. विकास दिव्यकीर्ति

डॉ. विकास अपनी क्लास में जिंदगी के विभिन्न पहलुओं पर बात करते हैं और उनकी बारीकियां बताते हैं.

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डॉ. विकास ने अपनी ऑनलाइन क्लास में बताया था कि प्रेम करने वाले कपल्स एक दूसरे को 'बाबू-सोना' जैसे नामों से क्यों बुलाते हैं. 

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डॉ. विकास ने वीडियो में कहा, 'अक्सर लोग भाव प्रेरित वक्रता के कारण एक-दूसरे को इन नामों से बुलाते हैं. भाव प्रेरित वक्रता में इंसान का दिमाग सीधा बोलने की स्थिति में नहीं रहता क्योंकि उस स्थिति में आप बहुत तीव्र भावुक हो जाते हैं.'

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डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने आगे कहा, 'भाव प्रेरित वक्रता यानी तीव्र भावुकता (सेंटिमेंटल) के कारण होता है कि सीधी बात आपके मुंह से निकलती ही नहीं है.'

वक्रता का अर्थ होता है किसी भी बात को सीधे-साधे तरीके से नहीं बल्कि टेढ़े तरीके से कहना. टेढ़े तरीके से बात भी दो तरह से की जाती है, पहली भाव-प्रेरित वक्रता और दूसरी बुद्धि-प्रेरित वक्रता. 

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जब व्यक्ति किसी भाव के तीव्रतम स्तर पर होता है तो वह अपनी बात को कहने के लिए भाव-प्रेरित वक्रता का प्रयोग करता है. 

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जब व्यक्ति की भावनाएं उच्च स्तर पर पहुंच जाती हैं और जहां उसे महसूस होने लगता है कि अंदर के भाव को प्रकट होने के लिए सीधी या सामान्य प्रचलित शब्दावली उतनी प्रभावी नहीं होगी, तब वह भावभरे शब्दों के माध्यम से अपनी भावनाएं प्रकट करता है.

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इस बात को तो सब जानते ही हैं भावनाएं किसी भी इंसान पर सीधा असर करती हैं. जैसे एक मां अपने बेटे को अलग-अलग नामों से बुलाती है या रिलेशनशिप में कपल्स एक दूसरे को जानू-बेबी-सोना आदि नामों से बुलाते हैं.

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डॉ. विकास ने उदाहरण देते हुए बताया, 'मानकर चलें आपके सामने एक छोटा सा गोलू-मोलू बच्चा है. आप अगर उससे बात करेंगे तो आप भी उस बच्चे से तुतलाकर बात करने लगेंगे ताकि आपका कनेक्शन उससे जुड़ जाए.'

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डॉ. विकास ने आगे बताया, 'प्रेम में पड़े हुए नायक-नायिका सबसे पहले एक-दूसरे के उपनाम रख देते हैं. जैसे स्वर्ण कुमार का सोना. बाबू, सोना, चीकू, पुचपुच आदि. हाई इमोटिव स्टेज में औपचारिक नाम से काम चलाया ही नहीं जा सकता.'

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प्रेम में कई बार लोग इतने सेंटिमेंटल हो जाते हैं कि सीधी बात आपके मुंह से निकलती ही नहीं है. बस इसी कारण से प्रेमी-प्रेमिका एक-दूसरे को इन नामों से बुलाते हैं.

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