हर देश की पैरेंटिंग स्टाइल वहां की संस्कृति, रीति-रिवाजों, इतिहास के हिसाब से अलग-अलग होती है जो समय के हिसाब से बदलती रहती है.
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भारत में भी पैरेंटिंग स्टाइल में बदलाव आ रहा है और माता-पिता बच्चों के पालन-पोषण से संबंधित नई-नई चीजें सीख रहे हैं. हालांकि, पैरेंटिंग के दौरान भारतीय पैरेंट्स की कुछ बातें बच्चों के विकास पर बुरा असर डालती हैं.
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बड़े होते बच्चे दुनिया को सीख-समझ रहे होते हैं और इस दौरान वो अपने पैरेंट्स से उम्मीद करते हैं कि वो हर कदम उनका साथ दें. आपके बच्चे आपसे बहुत उम्मीद लगाए बैठे होते हैं जिनमें से 7 के बारे में हम आपको बता रहे हैं.
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हर बच्चा चाहता है कि पैरेंट्स उसके नजरिए, विचार, जरूरतों को समझें और उसके प्रति सहानुभूति का भाव रखें.
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बच्चे चाहते हैं कि पैरेंट्स उनके नजरिए से दुनिया को देखें और समय के हिसाब से खुद को बदलें. वो चाहते हैं पैरेंट्स उनकी पीढ़ी के हिसाब से ढलें और हर वक्त उन्हें अपने जमाने के उदाहरण न दें.
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बच्चे ऐसा वातावरण चाहते हैं जिसमें शर्म, पछतावे या सजा मिलने का डर छोड़कर गलतियां कर सकें, असफल हो सकें. बच्चे चाहते हैं कि गलती होने पर भी पैरेंट्स उन्हें सपोर्ट करें जिससे उन्हें सुधार और विकास का मौका मिलता रहे.
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बच्चे चाहते हैं कि पैरेंट्स उनके बनाए रिश्तों को महत्व दें और उन्हें बेरोक-टोक दोस्त बनाने दें. दोस्त बनाना बच्चे के सामाजिक विकास और खुशी के लिए बेहद जरूरी है.
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बच्चे पैरेंट्स से ये उम्मीद करते हैं कि उन्हें बिना शर्त प्यार और समर्थन मिलता रहे. वो पैरेंट्स से भावात्मक रूप से सुरक्षा चाहते हैं और उम्मीद करते हैं कि पैरेंट्स सफलता, असफलता हर परिस्थिति में उनके साथ रहें.
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बच्चों की चाह होती है कि पैरेंट्स पढ़ाई के अलावा उन्हें उनकी हॉबी को भी आगे बढ़ाने दें. इससे वो अपने आप को समझ पाते हैं और उनका टैलेंट सामने आता है.
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कई पैरेंट्स बच्चों की बातों को महत्व नहीं देते और अपनी हर बात बच्चे पर थोपते हैं. इससे बच्चों पर नकारात्मक असर होता है. बच्चे चाहते हैं कि माता-पिता उन्हें महत्व दें और उनके सही फैसलों का सम्मान करें.
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