जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे लोगों के शरीर में कुछ समस्याएं आने लगती हैं.
शारीरिक समस्याओं में पैरों या घुटनों में दर्द सबसे कॉमन है. आजकल 40 से कम उम्र वाले लोगों को भी पैर संबंधित कई समस्याएं हो रही हैं.
हालांकि जो लोग फिटनेस के लिए जिम जाते हैं वो लोग कुछ गलतियां कर देते हैं जिससे उनके पैर की समस्याओं का कारण बन सकते हैं. जैसे पैर दर्द, बैलेंसिंग में समस्या, फ्लेग्जिबिलिटी ना रहना.
जो लोग गलत शूज का प्रयोग करते हैं, उनके पैरों में समय से पहले समस्याएं होने लगती हैं. लोकल शूज में खराब क्वालिटी का सोल लगा होता है. ऐसे में पैर का पंजा एड़ी के यहां से अंदर की ओर बैंड हो जाता है जो मुसीबत का कारण बन सकता है.
कई जिम या फिटनेस फ्रीक अपने पैरों को ओवरट्रेन करते हैं और इससे मांसपेशियों में थकान, तनाव और चोट लग सकती है. ऐसा करने से बचें नहीं तो आगे चलकर कोई समस्या हो सकती है.
जिम जाएं या ना जाएं, हर किसी को पैरों की स्ट्रेचिंग करनी चाहिए. जो लोग स्ट्रेचिंग नहीं करते उनके पैरों के मसल्स लूज नहीं होते और टाइट बने रहते हैं. इसलिए स्ट्रेचिंग जरूर करें.
जर्नल ऑफ फिजिकल थेरेपी साइंस में पब्लिश स्टडी के मुताबिक, स्ट्रेचिंग पैरों के लचीलेपन को बनाए रखने, रेंज ऑफ मोशन बढ़ाने, चोट के जोखिम को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
पैरों का दर्द आपके शरीर का आपको यह बताने का तरीका है कि कुछ गलत हो रहा है. अगर दर्द है तो तुरंत किसी एक्सपर्ट से मिली और मसल्स को रिकवरी के लिए समय दें.
हाई इंपेक्ट वाली एक्सरसाइज जैसी दौड़ना, स्प्रिंटिंग फिटनेस के लिए तो फायदेमंद हैं लेकिन अगर कोई अत्यधिक HIIT वर्कआउट करता है तो वह पैरों को जोड़ों के लिए सही नहीं रहता. इसलिए इस बात खास ख्याल रखें.
सही शूज पहनें और केवल हार्डकोर HIIT वर्कआउट ना करें, साथ में दूसरी एक्सरसाइज भी करें नहीं तो चोट लगने का खतरा बढ़ सकता है.
फिट, स्वस्थ और मजबूत शरीर-पैरों के लिए डाइट पर भी ध्यान देना जरूरी है. अच्छा न्यूट्रिशन वजन कंट्रोल रखेगा जिससे आपके पैरों या घुटनों पर अधिक लोड नहीं आएगा.
अत्यधिक वजन से आपके जोड़ों पर दबाव पड़ सकता है जिससे आपके कूल्हे के दर्द, घुटने के दर्द या लंबे समय में पुराने अर्थराइटिस का खतरा बढ़ सकता है.
पैरों को मजबूत करने के लिए प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स के साथ बैलेंस डाइट लें.