पिता बनने के सपने को चकनाचूर कर रही है आपकी ये आदतें, आज से ही बना लें दूरी

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बच्चे पैदा करने के लिए महिलाओं के साथ ही पुरुषों का योगदान भी काफी अहम  होता है. पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन नाम का एक हार्मोन पाया जाता है जिसे मेल हार्मोन भी कहा जाता है.

टेस्टोस्टेरोन लेवल

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वैसे तो टेस्टोस्टेरॉन महिलाओं और पुरुषों दोनों में ही काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है लेकिन पुरुषों में यह हार्मोन हाई लेवल में पाया जाता है.  हालांकि उम्र बढ़ने, खराब लाइफस्टाइल और कुछ आदतों के चलते टेस्टोस्टेरोन के लेवल पर काफी बुरा असर पड़ने लगता है.  

लो टेस्टोस्टेरोन 

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जंक  फूड का सेवन करने से बॉडी में फैट तेजी से बढ़ने लगता है. जिससे टेस्टोस्टेरोन का लेवल कम हो जाता है क्योंकि फैट सेल्स एरोमाटेज़ नाम के एंजाइम का उत्पादन करता है जो टेस्टोस्टेरोन को एस्ट्रोजन में बदल देता है.

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जंक फूड

प्लास्टिक का इस्तेमाल करने से टेस्टोस्टेरोन का लेवल कम होने के साथ ओवरऑल सेहत पर काफी बुरा असर पड़ता है. ऐसे में कोशिश करें कि प्लास्टिक का कम से कम इस्तेमाल करें.

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प्लास्टिक

जिम जाने वाले कई लोग जरूरत से ज्यादा प्रोटीन का सेवन करते हैं क्योंकि यह मांसपेशियों के निर्माण के लिए जरूरी मैक्रोन्यूट्रिएंट माना जाता है. लेकिन बाकी मैक्रोन्यूट्रिएंट्स को नजरअंदाज करने से टेस्टोस्टेरोन के लेवल पर बुरा असर पड़ता है.

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ज्यादा प्रोटीन का सेवन

एक स्टडी के मुताबिक, जो पुरुष सिर्फ 4 घंटे सोते हैं उनका टेस्टोस्टेरोन का लेवल 200 से 300 ng/dL होता है. वहीं, 8 घंटे की नींद लेने वाले पुरुषों में यह 500 से 700 ng/dL  होता है.

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खराब स्लीप क्वॉलिटी

बहुत ज्यादा स्ट्रेस लेने से सेहत के साथ ही टेस्टोस्टेरोन के लेवल पर भी बुरा असर पड़ता है. बहुत ज्यादा स्ट्रेस लेने से कोर्टिसोल हार्मोन रिलीज होता है जिससे वजन बढ़ता है, इम्यून सिस्टम कमजोर होता है.

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स्ट्रेस

ट्रांस फैट एक प्रकार का अनसैचुरेटेड फैट होता है, जो प्रोसेस्ड फूड्स में पाया जाता है. हाई ट्रांस फैट वाली डाइट लेने से टेस्टोस्टेरोन और स्पर्म क्वालिटी पर बुरा असर पड़ता है.

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ट्रांस फैट

कम मात्रा में पानी का सेवन करने से शरीर में टेस्टोस्टेरोन का लेवल कम होने लगता है और कोर्टिसोल हार्मोन का लेवल बढ़ने लगता है.

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पानी कम पीना