पेरेंटिंग में बैलेंस बनाकर रखना काफी जरूरी होता है. इस दौरान बच्चे को प्यार, सही गाइडेंस और अनुशासन की जरूरत होती है.
वैसे तो हर पेरेंट्स अपने बच्चों के लिए अच्छा ही सोचते हैं लेकिन कई बार कुछ कारणों से पेरेंट्स और बच्चे का रिलेशनशिप खराब होने लगता है.
माता-पिता की ओर से बच्चों को जरूरत से ज्यादा प्रोटेक्ट करना, गुस्सा दिखाना और दूसरे से उनकी तुलना करने से बच्चे धीरे-धीरे आपसे दूर होने लगते हैं. ऐसे में बच्चे और अपने रिलेशनशिप के बेहतर बनाने के लिए जरूरी है कि आप कुछ बातों का ख्याल रखें.
जरूरत से ज्यादा ख्याल रखने से बच्चों को घुटन होने लगती है. हालांकि सेफ्टी सबसे ज्यादा जरूरी है. लेकिन जरूरी है कि आप बच्चों को चीजों को एक्सप्लोर करने का मौका दें. यह उनकी ग्रोथ के लिए काफी अच्छा रहेगा.
बच्चो को नए चैलेंजेस का सामना करने की अनुमति दे. ताकि वह किसी भी समस्या को बिना आपकी मदद के सुलझा सकें.
पेरेंट्स के लिए जरूरी है कि वह फैसला लेते समय बच्चों की राय जरूर लें. इससे बच्चों में जिम्मेदारी का भाव पैदा होता है. और उन्हें यह भी महसूस होता है कि उनकी राय भी महत्वपूर्ण है और आप उन पर भरोसा करते हैं.
बच्चों की बिना सहमति से उनके लिए फैसला लेने से उनका भरोसा आपके ऊपर से उठ सकता है और वह चिड़चिड़े भी हो जाते हैं. इसके अलावा पेरेंट्स की ओर से बच्चों की बातों को इग्नोर करने से उनके आत्म-सम्मान पर चोट भी पहुंच सकती है.
बच्चों पर पढ़ाई-लिखाई या किसी भी चीज को लेकर दबाव ना बनाएं. इससे बच्चे स्ट्रेस, एंग्जाइटी के शिकार हो सकते हैं. पेरेंट्स के लिए जरूरी है कि अपनी उम्मीदों को बच्चों पर थोपने की कोशिश ना करें.
बच्चों को यह बिल्कुल भी पसंद नहीं होता कि कोई उन पर किसी चीज को लेकर प्रेशर डाले. हर बच्चे में अपना एक यूनिक टैलेंट होता है. जरूरी है कि आप उसके टैलेंस का प्रोत्साहन करें.
किसी भी रिश्ते में कम्युनिकेशन बेहद जरूरी होता है. जो पेरेंट्स अपने बच्चों से बात नहीं करते उनके बच्चे अंदर ही अंदर काफी चिड़चिड़े और गुस्सैल होने लगते हैं.
पेरेंट्स के लिए जरूरी है कि वह बच्चों की बातों और परेशानियों को ध्यान से सुनें. ताकि बच्चों को यह महसूस हो सके कि आप उनकी बातों को सुनने के इच्छुक हैं.
हर पेरेंट्स चाहते हैं कि उनकी बच्चा समझदार बने. इसके लिए कई बार पेरेंट्स अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से भी करते हैं. पेरेंट्स की यह बात बच्चों को बिल्कुल भी पसंद नहीं आती. किसी और से बच्चे तुलना करने से उनके आत्म-सम्मान को चोट पहुंच सकती है.