मां बाप और आसपास के लोगों से ये बातें सुन-सुनकर थक चुकी हैं बेटियां

भारत में बेटे और बेटियों के साथ व्यवहार में अभी भी लोग अंतर करते हैं. बेटियों से कई तरह के बेमतलब की उम्मीदें लगा ली जाती हैं जो लोग बेटों से नहीं लगाते हैं.

इसकी शुरुआत होती है उनके रहन-सहन पर कई तरह की लिमिटेशन लगाने से. बेटियों के लिए ये सब सुनना काफी फ्रस्टेटिंग होता है.

आज हम आपको ऐसी कई बातों के बारे में बताने जा रहे हैं जो बेटियों को हमेशा सुनने को मिलता है, खासकर इंडियन पेरेंट्स और रिलेटिव्स से.

लड़कियों से कई बार परिवार वाले ये कहते हैं कि तुमसे परिवार की इज्जत है इसलिए शालीन कपड़े पहनो.

लड़कियां किस तरह के कपड़े पहनना चाहती हैं यह उनकी खुद की च्वाइस होनी चाहिए.

लड़कियां जैसे ही जवानी की दहलीज पर कदम रखती हैं तबसे ही शादी कब कर रही हो, का सवाल पीछा करने लगता है.

इस तरह के सवालों के बीच पैरेंट्स कई बार बेटियों की इच्छाएं और कामयाबी दबा देते हैं.

कई बार लड़कियों को यह कहकर हताश किया जाता है कि अपनी आकांक्षाओं की जगह परिवार पर ध्यान दें.

लड़कियां जब भी आवाज उठाती हैं तो हमेशा यह कहकर उन्हें चुप कराया जाता है कि ज्यादा बोलना महिलाओं को शोभा नहीं देता है.

बेटियों को हमेशा खाना बनाना सीखने की सलाह दी जाती है. वजह दी जाती है कि यह शादी के लिए काफी जरूरी है.

कुकिंग स्किल्स कभी भी लड़कियों के लिए शादी के लिए पैमाना नहीं होना चाहिए.

लड़कियों को हमेशा ये सीख दी जाती है कि आपके लिए आपका पति पहली प्राथमिकता है करियर दूसरी.

लड़कियों के शादी करने के बाद से परिवार के लोग उनकी इच्छाएं दरकिनार कर बच्चे करने के बारे में सवाल करना शुरू कर देते हैं.

लड़कियों को हमेशा समझौता करना सीखने की सलाह दी जाती है. दरअसल, इसे रुढ़िवादी लोगों ने अच्छी पत्नी होने का पैमाना मान रखा है.