इस मुश्किल दुनिया में ईमानदारी के साथ बच्चों का पालन पोषण करना काफी मुश्किल होता है. माता-पिता अक्सर अपने बच्चों को कठिन सच्चाइयों से बचाने और उनके सामने कठिन परिस्थितियों को सरल बनाने के लिए कुछ झूठ बोलते हैं.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि बच्चों की भलाई के लिए बोले गए ये झूठ उनकी इमोशनल और साइकोलॉजिकल ग्रोथ पर काफी बुरा असर डालते हैं.
बच्चे माता-पिता पर बहुत भरोसा करते हैं, क्योंकि बच्चों के मुताबिक, वे उन्हें सही ज्ञान और दिशा दिखाते हैं. लेकिन जो पेरेंट्स बच्चों के सामने झूठ बोलते हैं, समय के साथ बच्चों का भरोसा उन पर कम हो सकता है.
जरूरी है कि कम उम्र में बच्चों के साथ विश्वास की नींव को मजबूत करने पर जोर दिया जाए. लगातार झूठ बोलना इस नींव को हिला सकता है, जिससे आपके और बच्चे के बीच में आगे चलकर कम्युनिकेशन प्रॉब्लम हो सकती हैं.
भले ही छोटे-छोटे झूठ ज्यादा बड़े न लगे, लेकिन वे एक बच्चे के दुनिया को देखने के तरीके पर बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं.
कुछ मासूम झूठ जैसे सांता क्लॉज या स्नो व्हाइट की झूठी मनगढ़ंत कहानियां आदि बच्चे को कंफ्यूज कर सकती हैं. जरूरी है कि पेरेंट्स जो भी बच्चों से बोल रहे हैं उसे लेकर सतर्क रहें.
जो माता-पिता अपने बच्चों से सच बोलते हैं और उनके आगे ईमानदार रहते हैं, उनके बच्चे का व्यवहार आगे चलकर अच्छा होता है. जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों से सच बोलें.
अपने कार्यों और निर्णयों के प्रति सच्चा रहकर, माता-पिता अपने बच्चों में ईमानदारी की भावना पैदा कर सकते हैं
परिवार का बच्चे के आगे झूठ बोलना बच्चे की मेंटल और इमोशनल हेल्थ पर बुरा प्रभाव डाल सकता है. लगातार झूठ बोलने से बच्चों में तनाव, चिंता और यहां तक कि विश्वासघात की भावना भी बढ़ सकती है.