सुधारने के चक्कर में कहीं बच्चे को बिगड़ैल तो नहीं बना रहे आप? न करें ये एक गलती

कुछ गलती होने पर बच्चों को थप्पड़ जड़ देना, जोर से डांट देना या डरा देना बहुत से भारतीय-माता पिता के लिए आम है. माता-पिता को लगता है कि इससे उनके बच्चे अनुशासन में रहना सीख जाएंगे और गलतियां नहीं करेंगे.

लेकिन एक्सपर्ट्स इस तरह की पैरेंटिंग के पक्ष में नहीं हैं. उनका कहना है कि माता-पिता को पैरेंटिंग का एक पॉजिटिव तरीका अपनाना चाहिए जिसमें बच्चों को सजा देना शामिल नहीं होना चाहिए.

एक्सपर्ट्स का कहना है कि बच्चों को शारीरिक या मानसिक रूप से किसी भी तरह की सजा देना उन्हें गुस्सैल और अक्खड़ बनाता है. सजा देने से बच्चा एक ही गलती जानबूझकर बार-बार करने लगता है.

बाल मनोविज्ञान को समझने वाले एक्सपर्ट्स का कहना है कि जो माता-पिता अपने बच्चों को खुलकर अपनी बातें रखने का माहौल बनाकर रखते हैं, उनकी बातें समझते हैं, उनसे उनके बच्चों का रिश्ता बेहद मजबूत होता है.

छोटी-छोटी गलतियों पर माता-पिता का बच्चों को सजा देना बच्चों के मानसिक सेहत पर बेहद प्रतिकूल असर डालता है. 

बहुत संभावना है कि इससे आपका बच्चा आगे चलकर डिप्रेशन, एंग्जाइटी का शिकार हो जाए. इसलिए बच्चों को सजा देने की मनोवृति से बाहर निकलें.

माता-पिता जब बच्चे को किसी गलती के लिए शारीरिक रूप से सजा देते हैं तो वो समझने लगते हैं कि शायद हिंसा ही किसी समस्या का समाधान है.

ऐसे बच्चे हिंसक प्रवृति के हो सकते हैं इसलिए बच्चों को सजा देने से बचें.

अगर आपका बच्चा कोई गलती करता है तो उसे बताएं कि क्या सही है और गलत करने के परिणाम क्या हो सकते हैं. बच्चे को सही-गलत की शिक्षा दें और खुद भी वैसा ही बनने की कोशिश करें जैसा आप अपने बच्चे को देखना चाहते हैं.