साल 2000 की शुरुआत में अचानक पॉपकॉर्न लंग्स नाम की एक बीमारी सामने आई थी.
इस बीमारी के शिकार हुए थे एक माइक्रोवेव पॉपकॉर्न प्लांट में काम करने वाले मजदूर.
जांच में सामने आया कि ये मजदूर डायएसिटाइल नाम के रसायन के संपर्क में आए थे, जो इनके इस बीमारी के पीछे की असली वजह है.
डायएसिटाइल का इस्तेमाल फूड प्रोडक्ट्स और स्नैक्स में स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है.
दरअसल, मजदूर माइक्रोवेव पॉपकॉर्न प्लांट में काम करते थे. इस वजह से इस बीमारी को पॉपकॉर्न लंग नाम से जाना जाने लगा.
पॉपकॉर्न लंग का वैज्ञानिक नाम ब्रोंकियोलाइटिस ओब्लिटरन्स है. सही वक्त पर इलाज नहीं किया जाए तो यह एक जानलेवा बीमारी है.
यह स्थिति तब आती है जब डायएसिटाइल जैसे केमिकल्स फेफड़ों में सबसे छोटे वायुमार्ग ब्रोन्किओल्स प्रभावित हो चुके होते हैं.
इस दौरान सांस लेने में काफी तकलीफ महसूस होती है.
खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों, फ्लेवर मैनुफैक्चरिंग इंडस्ट्री में काम करने वाले वर्कर डायएसिटाइल केमिकल्स इस बीमारी के पहले और आसान शिकार बनते हैं.
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डायएसिटाइल के लिक्विड का फ्लेवर्ड सिगरेट में यूज किया जाता है.ऐसे में फ्लेवर्ड ई-सिगरेट पीने वाले भी पॉपकॉर्न लंग्स के आसान शिकार बन सकते हैं.
डायएसिटाइल के अलावा फॉर्मेल्डिहाइड, सल्फर डाइऑक्साइड, अमोनिया, क्लोरीन, नाइट्रोजन ऑक्साइड, हाइड्रोक्लोरिक एसिड और सल्फर मस्टर्ड जैसे केमिकल्स भी ब्रोंकियोलाइटिस होने प्रमुख वजह हो सकते हैं.
अगर आपको लगातार खांसी आ रही है, सांस की तकलीफ है, जल्द थकान महसूस होता है, सांस लेते वक्त घड़घड़ाहत की आवाज आती है तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें.
अगर ये सभी लक्षण आपको अपने में नजर आ रहे हैं तो आप ब्रोंकियोलाइटिस ओब्लिटरन्स के शिकार हो सकते हैं.