16 Jan 2025
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वृंदावन वाले प्रेमानंद महाराज को कौन नहीं जानता. उनके दर्शन के लिए भीषण ठंड में भी हजारों लोग पहुंच रहे हैं.
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प्रेमानंद महाराज एक पीली लुंगी, सफेद बनियान के ऊपर पीले रंग का कपड़ा लपेटते हैं. भले ही कितनी सर्दी हो.
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सर्दी में भी इतने कम कपड़े में प्रेमानंद महाराज को देख एक लड़की ने उनसे पूछा, 'आपको ठंड नहीं लगती?'
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इस सवाल पर प्रेमानंद महाराज ने कहा, 'जितने से काम चल जाए उतने से चला लेते है क्योंकि पहले गंगा किनारे रहना होता था तो गंगा किनारे बहुत भीषण ठंडी होती थी.'
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'उस समय हमने कभी स्वेटर, शॉल, कंबल इनका प्रयोग नहीं किया था.'
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'हां, बहुत कष्ट तो होता था. अब जैसे बनियान है, एक बनियान से काम चल जाता है तो हम चला रहे हैं.'
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'अब जैसे बाहर निकलेंगे तो एक बार ठंड महसूस होगी कि यहां ठंड है. बस फिर खत्म.'
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'चिंतन में अगर हम प्रभु का चिंतन कर रहे हैं तो फिर इन सब ठंडी, गर्मी से अंतर नहीं पढ़ता.'
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'बचपन भूख, प्यास, गर्मी, सर्दी, मार सब सही है. अब भगवान की कृपा ऐसे परिपक्व भाव बन गया है इसलिए ठंड नहीं लगती.'
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