बच्चों में मोबाइल, टीवी, और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की लत तेजी से बढ़ती जा रही है जो बेहद खतरनाक है.
बच्चों पर स्क्रीन टाइमिग के असर को लेकर कई शोध हो रहे हैं जिसमें यह बात सामने आ रही है कि अधिक स्क्रीन टाइम बच्चों के दिमागी और सामाजिक विकास के लिए हानिकारक है.
यूरोपीयन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी कांग्रेस 2023 के समक्ष पेश नए शोध के मुताबिक, जो बच्चे अधिक वक्त तक स्क्रीन से चिपके रहते हैं, उनमें युवावस्था के शुरुआती सालों में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है.
यानी जो बच्चे बाहर जाकर खेलने-कूदने के बजाए बैठकर मोबाइल या टीवी देखते हैं, उनमें कम उम्र में ही हार्ट अटैक और स्ट्रोक हो सकता है.
बच्चा अगर अभी ज्यादा वक्त स्क्रीन के सामने बिता रहा है और बड़े होने पर उसका वजन नियंत्रित है, ब्लड प्रेशर नॉर्मल है, फिर भी वो हार्ट अटैक का शिकार हो सकता है.
इन खतरों को देखते हुए कोशिश करें कि आपका बच्चा कम से कम स्क्रीन देखे.
दो साल से कम उम्र के बच्चों को मोबाइल, टीवी या कोई भी इलेक्ट्रॉनिक स्क्रिन न दिखाएं. 2-12 साल के बच्चों की स्क्रीन टाइम दिन में एक घंटे से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.
12 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों की स्क्रीन टाइम 2 घंटे होनी चाहिए. अगर आप बच्चे की स्क्रीन टाइम अधिक है तो इन उपायों से उसे कम कर सकते हैं.
अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा ज्यादा स्क्रीन न देखे तो खुद भी अपनी स्क्रीन टाइम कम करें और बच्चे के साथ बैठकर खेलें, बातें करें और एक्टिविटीज में शामिल हों.
बच्चों को फोन देखने के बजाए बाहर जाकर खेलने के लिए प्रोत्साहित करें. उन्हें दोस्त बनाने के लिए कहें जिनके साथ वो खेल सकें.
बच्चा फोन पर क्या देख रहा है, उस पर बराबर नजर बनाए रखें. अगर आपको लगता है कि कोई ऐप या वेबसाइट बच्चे को लत की तरफ ले जा रही है, तो उसे ब्लॉक कर दें या फोन से हटा दें.
स्क्रीन टाइम को लेकर बच्चे से खुलकर बात करें कि वह दिन में इससे ज्यादा स्क्रीन नहीं देख सकते.
स्क्रीन टाइम कम करने के फायदों के बारे में उनसे बात करें और फोन के अलावा बाकी एक्टिविटीज के लिए प्रोत्साहित करें.