जापान ने पैरेंटिंग की अलग और अनूठी शैली विकसित की है जिसमें बच्चे अपनी परंपरा से जुड़े रहकर आधुनिक दुनिया की तहजीब सीखते हैं. इस शैली में बच्चों को सबसे साथ मिलजुल कर रहना सिखाया जाता है.
जापानी बच्चे कम उम्र में ही काफी समझदार और आत्मनिर्भर बन जाते हैं. कम उम्र में ही वो खुद से स्कूल जाना भी सीख जाते हैं और इसकी वजह वहां के माता-पिता की पैरेंटिंग स्टाइल है.
भारतीय माता-पिता भी जापानी पैरेंटिंग स्टाइल से बहुत कुछ सीखकर अपने बच्चे को तेज और समझदार बना सकते हैं. हम आपको 8 जापानी पैरेंटिंग टिप्स बता रहे हैं.
जापानी माता-पिता जब अपने बच्चे के साथ होते हैं, उनका पूरा फोकस बच्चे पर होता है यानी वो पूरी तरह से सचेत होते हैं और बच्चे की हर जरूरत का ध्यान रखते हैं.
इस वजह से बच्चे भी पूरी तरह सचेत रहना सीखते हैं और माता-पिता से उनका जुड़ाव बहुत मजबूत होता है.
जापान में परिवारों के बीच बेहद मजबूत बॉन्ड होता है और वहां बुजुर्गों का खूब ख्याल रखा है, उनका सम्मान किया जाता है. इस माहौल में पल रहे बच्चों को एक खुशनुमा और सम्मानभरा माहौल मिलता है और वो भी बुजुर्गों का सम्मान करना सीखते हैं.
जापानी कला Menkobu बच्चों को हर परिस्थिति में धीरज रखना सिखाती है. जापानी बच्चे मुश्किल स्थिति में भी धीरज नहीं खोते. Menkobu जापानी बच्चों को बचपन से ही अनुशासन में रहना सिखाती है.
जापानी माता-पिता अपने बच्चों को सामने वाले की भावनाओं का ख्याल रखते हुए नरमी के साथ बोलना सिखाते हैं, खासकर सार्वजनिक स्थानों पर.
इससे बच्चों में दूसरे के प्रति सम्मान की भावना विकसित होती है और वो समझदार बनते हैं.
जापानी मां-बाप अपने बच्चों को छोटी उम्र से ही जिम्मेदार बनना सिखाते हैं. बच्चे खाना खाने के बाद खुद से ही सफाई भी करते हैं. सार्वजनिक स्थानों पर भी बच्चे खाना-खाकर खुद सफाई करते हैं. इससे बच्चों में जिम्मेदारी का भाव पैदा होता है.
जापानी संस्कृति में बाहर से आने का बाद चप्पल-जूते घर के बाहर निकालने की रिवाज है जिससे बच्चों में साफ रहने और घर में सफाई रखने की आदत विकसित होती है.
जापानी माता-पिता अपने बच्चों को अपने काम खुद से करना सिखाते हैं जिसमें खेलने के बाद अपने खिलौने खुद समेटने की आदत भी शामिल है. इससे बच्चों में हर काम सलीके से करने की कला आती है.
जापानी माता-पिता अपने बच्चों के साथ स्किन टू स्किन टच पर जोर देते हैं. वो बच्चों को गोद में रखकर कहीं ले जाना पसंद करते हैं. इससे माता-पिता का बच्चे से अधिक जुड़ाव होता है.