16 Dec 2024
खानपान की गलत आदतों और शारीरिक गतिविधियों में कमी के कारण आजकल भारतीयों के बीच डायबिटीज के मामले बढ़ते जा रहे हैं. डायबिटीज के बढ़ते मामलों के बीच कुछ सकारात्मक खबरें भी आती हैं जो इस बीमारी से लड़ने में दूसरों को हौसला दे जाती हैं.
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ऐसी ही एक कहानी है भूपेंदर कुमार कंबोज की जिन्होंने अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव से डायबिटीज को भी मात दे दी.
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33 साल के भूपेंदर सिंह कंबोज की कहानी भी कुछ ऐसी ही हैं. भूपेंदर गुड़गांव के मल्टीनेशनल ऑटोमेटिव कंपनी में काम करते हैं. जब उन्हें पता चला कि वो टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित हैं तो उनकी पूरी जिंदगी बदल गई.
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बीते साल नवंबर में भूपेंदर को ऐसा लगा कि उन्हें बार-बार प्यास लग रही है और उन्हें बार-बार यूरिन पास करने की जरूरत महसूस हो रही है. जब उन्होंने डॉक्टर के बताए अनुसार, टेस्ट कराया तो पता चला कि उन्हें टाइप 2 डायबिटीज है.
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भूपेंदर का शुगर लेवल बहुत ज्यादा (350+mg/dl) बढ़ा हुआ था और HbA1c 9.5% पहुंच गया है. 6 फीट 2 इंच के भूपेंदर का वजन तब 107 किलो का हो गया था.
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भूपेंदर को यह महसूस हुआ कि उन्हें डायबिटीज की वजह से जिंदगी भर दवाई लेनी होगी तो उन्होंने इस बीमारी को ही खत्म करने का फैसला किया. सबसे पहले उन्होंने अपने वजन को 90 किलो तक करने का फैसला किया.
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भूपेंदर ने वजन कम करने के लिए बेहद ही सिंपल तरीका अपनाया जिसमें इंटरमिटेंट फास्टिंग यानी रात और सुबह के खाने के बीच में कम से कम 16 घंटे का अंतर रखना शुरू किया और एक्सरसाइज पर भी फोकस किया.
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भूपेंदर अपने दिन की शुरुआत सुबह 5 बजे एक गिलास गुनगुने दूध से करते हैं और 5:30 में 30 मिनट कार्डियों और 30 मिनट वेट ट्रेनिंग करते हैं. भूपेंदर सुबह 8 बजे नाश्ते एक कप दूध के साथ पोहा या ओट्स खाते हैं.
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11 बजे के करीब वो बिना चीनी के ब्लैक कॉफी पीते हैं. लंच में भूपेंदर तीन रोटी या चावल, सब्जी और सलाद खाते हैं. शाम को चार बजे वो कोई एक फल खाते हैं. 4 बजे के बाद वो बस एक कप दूध लेते हैं और कभी-कभार डिनर कर लेते हैं.
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भूपेंदर ने अपनी वेट लॉस जर्नी के दौरान इस डाइट को फॉलो किया और हफ्ते में 4-5 दिन इंटरमिटेंट फास्टिंग जारी रखी. इससे पांच महीनों में उनका वजन 17 किलो कम हो गया.
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उनका HbA1c भी कम होकर 5.6% आ गया जो कि डायबिटीज नहीं माना जाता. भूपिंदर ने एक्सरसाइज और इंटरमिटेंट फास्टिंग जारी रखी है जिससे उनका वजन और डायबिटीज दोनों कंट्रोल में है.
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