बुखार आने पर घबराकर तुरंत दवाई खाना होता है खतरनाक, डॉक्टर से जानें इसे ठीक करने का तरीका

अक्सर मौसम में बदलाव, जीवनशैली में परिवर्तन, थकान, संक्रमण, ठंडा-गर्म खाने पर बुखार आना बेहद सामान्य बात है. 

बुखार किस वजह से आता है, इसका कारण हमें कई बार पता होता है. कई बार किसी संक्रमण की वजह से बुखार आने की बात हमें डॉक्टरी जांच के बाद पता चल जाती है. 

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि बुखार आखिर हमें आता क्यों हैं. 

इस सवाल का जवाब कुछ समय पहले देश के जाने-माने लिवर स्पेशलिस्ट डॉक्टर एस.के.सरीन ने लल्लनटॉप के साथ एक इंटरव्यू के दौरान दिया था.

इस दौरान जब सरीन से पूछा गया कि लोगों को बुखार आता है और वो तुरंत उसे उतारने के लिए दवाई खा लेते हैं. 

जबकि बुखार एक तरह से डिफेंस मैकेनिज्म का काम करता है और जब शरीर को कई वायरस या बीमारी घेरती है तो बुखार शरीर का तापमान बढ़ाकर उससे लड़ता है. अगर हम दवा खा लेंगे तो बॉडी बीमारी से लड़ नहीं पाएगी तो ऐसे में हमें कब दवा खानी चाहिए.

इस पर डॉक्टर सरीन ने कहा, 'बुखार किसी संक्रमण या चोट के बदले होने वाली प्रतिक्रिया है. ये अच्छा है बुरा नहीं है.' 

उन्होंने आगे कहा, 'मेरी नजर में जब बुखार 102 के ऊपर हो तब ही दवाई खानी चाहिए. 102 से नीेचे रहने तक आप सिर पर ठंडी पट्टी रख सकते हैं.'

शरीर Cytokines बनाती है. ये एक सेल का दूसरे सेल से बात करने का तरीका होता है. इसलिए बुखार से परेशान नहीं होना है. 

उन्होंने कहा कि एंटीबायोटिक दवाएं बुखार, खांसी, लूज मोशन, फ्लू जैसी छोटी-छोटी परेशानियों में नहीं खानी चाहिए. ये नुकसान करती हैं. ये बैड के साथ गुड बैक्टीरिया भी मार देते हैं. 

छोटे बच्चों को एंटीबायोटिक देने पर स्टडी हुई जिसमें पता चला कि बचपन में  एंटीबायोटिक लेने वाले बच्चों को बड़े होने पर फैटी लिवर हो गया. इसलिए बच्चों को दवाओं से दूर रखें. वैक्सीन लगवाएं लेकिन जब तक बहुत जरूरत ना हो, बच्चों को एंटीबायोटिक्स ना दें.