पानी में अक्स और किसी आसमां का है... अहमद मुश्ताक के चुनिंदा शेर

29 Dec 2023

By अतुल कुशवाह

अहमद मुश्ताक का जन्म लाहौर पंजाब में साल 1933 में हुआ था. वे पाकिस्तान के सबसे विख्यात और आधुनिक शायरों में शुमार किए जाते हैं. वे अपनी अलग तरह की लय के लिए फेमस हैं.

शायर अहमद मुश्ताक

Photo: social media/pexels

चांद भी निकला सितारे भी बराबर निकले मुझसे अच्छे तो शबे गम के मुकद्दर निकले कल ही जिनको तेरी पलकों पे कहीं देखा था रात उसी तरह के तारे मेरी छत पर निकले.

पानी में अक्स और किसी आसमां का है ये नाव कौन सी है ये दरिया कहां का है दीवार पर खिले हैं नए मौसमों के फूल साया जमीन पर किसी पिछले मकां का है.

शबनम को रेत फूल को कांटा बना दिया हमने तो अपने बाग को सहरा बना दिया इक रात चांदनी मेरे बिस्तर पे आई थी मैंने तराश कर तेरा चेहरा बना दिया.

जमीं से उगती है या आसमां से आती है ये बेइरादा उदासी कहां से आती है इसे नए दरो दीवार भी न रोक सके वो एक सदा जो पुराने मकां से आती है.

आंखें खोलूं तो दिखाई नहीं देता कोई बंद करता हूं तो हो जाती हैं जारी बातें कभी इक हर्फ निकलता नहीं मुंह से मेरे कभी एक सास में कर जाता हूं सारी बातें.

किस शय पे यहां वक्त का साया नहीं होता एक ख्वाबे मोहब्बत है कि बूढ़ा नहीं होता वो वक्त भी आता है जब आंखों में हमारी फिरती हैं वो शक्लें जिन्हें देखा नहीं होता.

पता अब तक नहीं बदला हमारा वही घर है वही किस्सा हमारा वही टूटी हुई कश्ती है अपनी वही ठहरा हुआ दरिया हमारा.

तुम आए हो तुम्हें भी आजमाकर देख लेता हूं तुम्हारे साथ भी कुछ दूर जाकर देख लेता हूं उड़ाकर रंग कुछ होंठों से कुछ आंखों से कुछ दिल से गए लम्हों को तस्वीरें बनाकर देख लेता हूं.