अहमद नदीम कासमी का मूल नाम अहमद शाह ऐवान था. उनका जन्म 1 नवंबर 1916 को पंजाब के सरगोधा में हुआ था. कासमी का नाम पाकिस्तान के शीर्ष प्रगतिशील शायरों में शुमार है.
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मेरा वजूद मेरी रूह को पुकारता है तेरी तरफ भी चलूं तो ठहर ठहर जाऊं मैं जिंदा था कि तेरा इंतजार खत्म न हो जो तू मिला है तो अब सोचता हूं मर जाऊं.
उम्रभर उसने इसी तरह लुभाया है मुझे वो जो इस दश्त के उस पार से लाया है मुझे मैं तुझे याद भी करता हूं तो जल उठता हूं तूने किस दर्द के सहरा में गंवाया है मुझे.
मैं किसी शख्स से बेजार नहीं हो सकता एक जर्रा भी तो बेकार नहीं हो सकता तीरगी चाहे सितारों की सिफारिश लाए रात से मुझको सरोकार नहीं हो सकता.
तू जो बदला तो जमाना भी बदल जाएगा घर जो सुलगा तो भरा शहर भी जल जाएगा सामने आ कि मेरा इश्क है मंतिक में असीर आग भड़की तो ये पत्थर भी पिघल जाएगा.
आखिरी बार अंधेरे के पुजारी सुन लें मैं सहर हूं मैं उजाला हूं हकीकत हूं मैं मैं मोहब्बत का तो देता हूं मोहब्बत से जवाब लेकिन आदा के लिए कहरो कयामत हूं मैं.
मेरा गुरूर तुझे खो के हार मान गया मैं चोट खाके मगर अपनी कद्र जान गया खुदा के बाद तो बेइंतिहा अंधेरा है तेरी तलब में कहां तक न मेरा ध्यान गया.
सहर हुई तो कोई अपने घर में रुक न सका किसी को याद न आए दिए जलाए हुए. ये और बात मेरे बस में थी न गूंज इसकी मुझे तो मुद्दतें गुजरीं ये गीत गाए हुए.
जी चाहता है फलक पे जाऊं सूरज को गुरूब से बचाऊं बस मेरा चले जो गर्दिशों पर दिन को भी न चांद को बुझाऊं.