मशहूर शायर अहमद फराज का मूल नाम सईद अहमद शाह था. उनका जन्म 12 जनवरी 1931 को पाकिस्तान के कोहट इलाके में हुआ था. उनकी पहचान रोमांटिक शायर की हैसियत से हुई.
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जिंदगी से यही गिला है मुझे तू बहुत देर से मिला है मुझे तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल हार जाने का हौसला है मुझे.
सिलसिले तोड़ गया वो सभी जाते जाते वर्ना इतने तो मरासिम थे कि आते जाते कितना आसां था तेरे हिज्र में मरना जानां फिर भी इक उम्र लगी जान से जाते जाते.
सुना है लोग उसे आंख भर के देखते हैं सो उसके शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं सुना है बोले तो बातों से फूल झड़ते हैं ये बात है तो चलो बात करके देखते हैं.
तेरे करीब आके बड़ी उलझनों में हूं मैं दुश्मनों में हूं कि तेरे दोस्तों में हूं मुझसे बिछड़ के तू भी तो रोएगा उम्रभर ये सोच ले कि मैं भी तेरी ख्वाहिशों में हूं.
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ किस किसको बताएंगे जुदाई का सबब हम तू मुझसे खफा है तो जमाने के लिए आ.
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख्वाबों में मिलें जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें ढूंढ़ उजड़े हुए लोगों में वफा के मोती ये खजाने तुझे मुमकिन है खराबों में मिलें.
इससे पहले कि बेवफा हो जाएं क्यों न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएं तू भी हीरे से बन गया पत्थर हम भी कल जाने क्या से क्या हो जाएं.
आंख से दूर न हो दिल से उतर जाएगा वक्त का क्या है गुजरता है गुजर जाएगा डूबते डूबते कश्ती को उछाला दे दूं मैं नहीं कोई तो साहिल पे उतर जाएगा.