23 Dec 2022 By: Aajtak.in

AK-47 राइफल: लाखों मौत की जिम्मेदार या 'शांति का हथियार'?

दुनिया के सबसे घातक राइफल AK-47 के जन्मदाता मिखाइल कलाशिनिकोव की 23 दिसंबर को पुण्यतिथि है. 

Pic Credit: urf7i/instagram

इस राइफल का नाम इसके जन्मदाता पर है. इसलिए आम भाषा में AK-47 राइफल को कलाशिनिकोव भी कहते हैं. 

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AK का पूरा नाम रूसी भाषा में एवतोमैत कलाश्निकोव (Avtomat Kalashnikov) है. 

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कलाश्निकोव द्वितीय विश्व युद्ध के समय जंग घायल हो गए थे. वो ऐसी मशीनगन बनाना चाहते थे, जो बिना फंसे किसी भी मौसम में काम करे. 

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पांच साल इंजीनियरिंग करने के बाद कलाश्निकोव ने AK-47 बनाई. आज ही के दिन साल 2013 में उनकी मौत हो गई थी. 

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AK-47 पूरी तरह से ऑटोमैटिक सेंटिंग के अंदर 600 राउंड गोली फायर कर सकता है. इसमें 7.62x39 mm की गोलियां भरी जाती हैं. 

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Video Courtesy: KGF-2

सेमी-ऑटो मोड में 40 राउंड प्रति मिनट और बर्स्ट मोड में 100 राउंड प्रति मिनट निकलती है. आमतौर पर इसकी रेंज 350 मीटर होती है.

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इसकी 300-350 मीटर की रेज में आने वाले दुश्मन का बचना लगभग नामुमकिन है. कहा जाता है कि इसकी वजह से हर साल 2.50 लाख लोग मारे जाते हैं. 

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यह राइफल एशिया व अफ्रीका महाद्वीप में सुरक्षा बलों के साथ-साथ आतंकी संगठनों के बीच भी लोकप्रिय है. AK-47 दुनिया में सबसे ज्‍यादा प्रचलित हुआ हथियार है. 

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ऐसा माना जाता है कि दुनिया में 10 करोड़ से अधिक AK-47 राइफल बिकी हैं. कंपनी ने अपनी छवि सुधारने के लिए इसे शांति का हथियार (वेपंस ऑफ पीस) बताया है. 

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मिखाइल कलाश्निकोव की AK-47 राइफल का पहला मिलिट्री ट्रायल साल 1947 में हुआ. इसके बाद इसे रूस की सेना में शामिल करने का आदेश दिया गया. 

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वहीं, अमेरिका में इस बंदूक को 'दुश्मन का हथियार' कहा जाता है. इसके बावजूद अमेरिकी बंदूक प्रेमी और सैनिक इसे बहुत पसंद करते हैं. 

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