AK-47 राइफल: लाखों मौत की जिम्मेदार या 'शांति का हथियार'?
दुनिया के सबसे घातक राइफल AK-47 के जन्मदाता मिखाइल कलाशिनिकोव की 23 दिसंबर को पुण्यतिथि है.
इस राइफल का नाम इसके जन्मदाता पर है. इसलिए आम भाषा में AK-47 राइफल को कलाशिनिकोव भी कहते हैं.
AK का पूरा नाम रूसी भाषा में एवतोमैत कलाश्निकोव (Avtomat Kalashnikov) है.
कलाश्निकोव द्वितीय विश्व युद्ध के समय जंग घायल हो गए थे. वो ऐसी मशीनगन बनाना चाहते थे, जो बिना फंसे किसी भी मौसम में काम करे.
पांच साल इंजीनियरिंग करने के बाद कलाश्निकोव ने AK-47 बनाई. आज ही के दिन साल 2013 में उनकी मौत हो गई थी.
AK-47 पूरी तरह से ऑटोमैटिक सेंटिंग के अंदर 600 राउंड गोली फायर कर सकता है. इसमें 7.62x39 mm की गोलियां भरी जाती हैं.
Video Courtesy: KGF-2
सेमी-ऑटो मोड में 40 राउंड प्रति मिनट और बर्स्ट मोड में 100 राउंड प्रति मिनट निकलती है. आमतौर पर इसकी रेंज 350 मीटर होती है.
इसकी 300-350 मीटर की रेज में आने वाले दुश्मन का बचना लगभग नामुमकिन है. कहा जाता है कि इसकी वजह से हर साल 2.50 लाख लोग मारे जाते हैं.
यह राइफल एशिया व अफ्रीका महाद्वीप में सुरक्षा बलों के साथ-साथ आतंकी संगठनों के बीच भी लोकप्रिय है. AK-47 दुनिया में सबसे ज्यादा प्रचलित हुआ हथियार है.
ऐसा माना जाता है कि दुनिया में 10 करोड़ से अधिक AK-47 राइफल बिकी हैं. कंपनी ने अपनी छवि सुधारने के लिए इसे शांति का हथियार (वेपंस ऑफ पीस) बताया है.
मिखाइल कलाश्निकोव की AK-47 राइफल का पहला मिलिट्री ट्रायल साल 1947 में हुआ. इसके बाद इसे रूस की सेना में शामिल करने का आदेश दिया गया.
वहीं, अमेरिका में इस बंदूक को 'दुश्मन का हथियार' कहा जाता है. इसके बावजूद अमेरिकी बंदूक प्रेमी और सैनिक इसे बहुत पसंद करते हैं.