शायद ही सुना हो कि इंसानों की तर्ज पर जानवरों और मवेशियों को भी साप्ताहिक अवकाश दिया जाता हो.
Pic Credit: urf7i/instagramये परंपरा झारखंड में लातेहार के 20 से ज्यादा गांवों में 100 साल से भी ज्यादा पुरानी है.
Pic Credit: urf7i/instagramयहां बैल और अन्य मवेशी से रविवार को काम नहीं लिया जाता है.
Pic Credit: urf7i/instagramइस दिन उनका ऑफ होता है यानी सिर्फ आराम दिया जाता है ताकि वो सप्ताह भर की अपनी थकान दूर करके तरोताजा हो सकें.
Pic Credit: urf7i/instagramमवेशियों को हफ्ते में एक दिन की छुट्टी की परंपरा लातेहार जिले के हरखा, मोंगर, ललगड़ी और पकरार समेत कई अन्य गांवों में है.
Pic Credit: urf7i/instagramग्रामीण बताते हैं कि 10 दशक पहले जुताई के वक्त ही एक बैल की मौत हो गई थी.
Pic Credit: urf7i/instagramमंथन करने पे ये निष्कर्ष निकाला गया कि जरूरत से ज्यादा थकवाट और काम के बोझ को बैल झेल नहीं पाया.
Pic Credit: urf7i/instagramपंचायत में सामूहिक रूप से ये फैसला लिया गया था कि एक दिन जानवरों और मवेशियों से काम नहीं लिया जाएगा.
Pic Credit: urf7i/instagram