दीपावली बोनस के तौर पर अपनी डायमंड फैक्ट्री में काम करने वाले कर्मचारियों को कारें, मकान और ज्वैलरी गिफ्ट देने वाले कारोबारी सावजी भाई ढोलकिया को भला कौन नहीं जानता
लेकिन हीरा कारोबारी के MBA पास पोते रुविन ढोलकिया को गुमनाम और आम आदमी जैसी जिंदगी जीने के लिए मजबूर होना पड़ा
दादा सावजीभाई के आदेश पर रुविन ढोलकिया को तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई जाकर मजदूरी करनी पड़ी
अमेरिका रिटर्न रुविन ढोलकिया की पहली नौकरी सेल्समैन एक के रूप में एक गारमेंट शॉप में थी. उन्होंने कपड़े की दुकान में 9 दिन तक नौकरी की और अपने भीतर बिक्री कौशल को निखारा
रुविन ने 8 दिनों तक एक भोजनालय में काम किया और वेटर के रूप में कुशलता से प्लेट सेटिंग और परोसने का प्रबंधन का सीखा
अपनी 30-दिवसीय यात्रा के दौरान रुविन ने चार अलग-अलग नौकरियां कीं. 80 से ज्यादा रिजेक्शन का भी सामना किया. प्रतिदिन 200 रुपए के खर्च करने की छूट पर जीना था. वह चेन्नई में एक मामूली छात्रावास में रहे
इस वनवास को लेकर रुविन ने बताया कि नौकरी के लिए जब रिजेक्ट होते थे तो उन्हें 'न' शब्द का दर्द समझ में आया. ज़िंदगी में कमी को महसूस किया. वहीं, होटल में वेटर की नौकरी के दौरान जब उन्हें 27 रुपए का टिप मिला तो वो पल उनके लिए सबसे खास था
अमेरिका से पढ़कर लौटे पोते रुविन को मजदूरी कराने के पीछे का मकसद उसे असल जिंदगी के असल मैनेजमेंट की शिक्षा प्रदान दिलवाना था. बता दें कि हीरा कोराबारी सावजी भाई ढोलकिया करीब 12 हजार करोड़ रुपए की कंपनी के मालिक हैं.