अजीब और डरावने हैं अंतिम संस्कार के ये रिवाज, कांप जाएगी रूह

By Aajtak.in

17 March 2023

तिब्बत में बौद्ध धर्म में अंतिम संस्कार का तरीका बेहद अनोखा है. यहां लोग लाश को पहाड़ पर ले जाते हैं, जहां विधि विधान से पूजा होती है, फिर शव के टुकड़े किए जाते हैं.

अफ्रीका के पूर्वी तट पर स्थित मैडागास्कर में जब किसी की मौत होती है तो दफनाने के बाद उसे बीच-बीच में निकाल कर देखा जाता है. लोगों की मान्यता है कि जब तक शव का मांस गल नहीं जाता, तब तक मृतक को दूसरा शरीर नहीं मिल पाता.

जब शव गल जाता है तो लोग जश्न मनाते हैं. वे शव निकालकर नाच-गाना करते हैं और खुशियां मनाते हैं. उन्हें लगता है कि अब मृतक को नया शरीर मिल गया है. इस परंपरा को फामाडिहाना कहा जाता है.

दक्षिण कोरिया में शव जलाने के बाद अवशेषों को अलग-अलग रंगों के मोतियों में संरक्षित कर देते हैं. फिर कांच के बर्तन में डालकर घर में रख दिया जाता है. लोग मानते हैं कि इससे उन्हें लगता है कि उनके प्रियजन उनके आस-पास ही हैं.

अमेजन के जंगलों में यानोमानी जनजाति किसी की मौत के बाद शव जलाकर राख का सूप बनाती है, जिसे पूरा परिवार पीता है. The Guardian के मुताबिक, इस समुदाय का मानना है कि मृतक की आत्मा को शांति तभी मिलती है, जब शव रिश्तेदारों ने खाया हो.

इंडोनेशिया में दक्षिण सुलावेसी के पहाड़ों पर रहने वाले तोरजा समाज के लोग किसी की मौत के बाद शव नहीं दफनाते, साथ रखते हैं. शव को परिवार का ही हिस्सा मानते हैं. ये लोग मृतक को बीमार व्यक्ति की तरह मानते हैं, जिसे 'मकुला' कहते हैं.

Daily Mail के मुताबिक, लोगों की मान्यता है कि इंसान के अंतिम संस्कार में पूरा कुनबा साथ रहना चाहिए. इसलिए जब तक परिवार के सभी लोग इकट्ठा नहीं होते, शव का अंतिम संस्कार नहीं किया जाता.

लोग भैंसे की बलि भी देते हैं. मान्यता के अनुसार, जो व्यक्ति मर जाता है उसके साथ भैंसे का होना जरूरी है, क्योंकि मरने के बाद भैंसा ही दूसरी दुनिया तक जाने का माध्यम होता है.

तीन साल बाद शव का रूप बदल जाता है. लोग शव को साफ करते हैं, और नए कपड़े पहनाकर तस्वीरें खिंचवाते हैं. बाद में शवों को ताबूत में रखकर उनके जगह पर वापस छोड़ दिया जाता है.