Credit: Meta AI
साइबर ठग बहुत बड़े तकनीकी एक्सपर्ट नहीं होते, फिर भी अच्छे-खासे पढ़े लिखे लोगों को ठग लेते हैं. उनकी सिर्फ एक ही खासियत होती है, जिसके जरिए ये अपराधी लोगों के पैसे उड़ा ले जाते हैं.
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दिल्ली के साइबर क्राइम ब्रांच के डीसीपी हेमंत तिवारी ने न्यूज एजेंसी को बताया कि कैसे 10वीं, 12वीं पास युवक पढ़े-लिखे लोगों से पैसा ऐंठ लेते हैं.
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इन साइबर क्रिमिनल्स के पास इंजीनियरिंग की कोई बड़ी डिग्री नहीं होती है. येलोग कोई बहुत बड़े तकनीकी विशेषज्ञ भी नहीं होते हैं. फिर भी लोग इनके जाल में फंस जाते हैं.
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ऑनलाइन ठगी करने वाले लोग एक खास वर्ग के लोगों को अपना शिकार बनाते हैं. एक खास उम्र और तबके के लोगों को ही वे जाल में फंसाते हैं.
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बमुश्किल 10वीं या 12वीं तक पढ़े साइबर ठगों के पास सिर्फ एक विशेषज्ञता होती है. इसी के जरिए लोगों से अच्छी-खासी रकम ऐंठ लेते हैं.
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डीसीपी हेमंत तिवारी कहते हैं कि उन्हें कहानी गढ़ने में महारथ हासिल होती है. वेलोग ऐसे किस्से बुनते हैं, जिसके जाल में आम आदमी आसानी से फंस जाता है.
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लोगों का भरोसा जीतकर साइबर ठग उनके खाते से पैसा ट्रांसफर करवा लेते हैं. या फिर बैंक खाते की सारी डिटेल ले लेते हैं. ऐसे कई केस सामने आए हैं.
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साइबर ठगी के अधिकतर मामलों में अपराधी कम पढ़े-लिखे होते हैं और अपने शातिर दिमाग की बदौलत लोगों का पैसा उड़ा लेते हैं.
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