दिल्ली में यमुना की बदहाली किसी से छिपी नहीं है. पल्ला से चिल्ला तक यमुना की स्थिति सबके सामने है.
यमुना को साफ करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च हुए, लेकिन यमुना जस की तस रही.
हालांकि, पिछले कुछ दिनों से यमुना नदी और यमुना के किनारे बसे घाटों की तस्वीर थोड़ी बदली नजर आ रही है.
कल तक जहां कश्मीरी गेट के पास यमुना किनारे मिट्टी और गंदगी का अंबार था. वहां अब हरियाली नजर आने लगी है.
एक महीने पहले तक जहां चलने में परेशनी होती थी, वहां आम लोगों के आने के लिए पक्का रास्ता बन गया है.
इन तस्वीरों को देखकर लगता है कि आनेवाले दिनों में शायद आप भी यमुना के किनारे साफ सांस ले सकेंगे.
दरअसल, दिल्ली में यमुना नदी और उसके घाटों को पूरी तरह से डेवलप करने का काम तेजी से किया जा रहा है.
यमुना के अंदर आने वाले कचरे को अधिकारियों की देखरेख में सफाई कर्मचारियों की मदद से बाहर निकाला जा रहा है.
इसके अलावा यमुना में कचरा फेंकने वालों को रोका जा रहा है. उन पर कार्यवाही की जा रही है ताकि यमुना को मैला होने से रोका जा सके.
यमुना नदी में नाले के गंदे पानी को रोकने के लिए ड्रेन बीओडी रिड्यूसिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है.
यमुना में गिरने वाले नालों के आगे पत्थर और चूना-पत्थर के टुकड़े डाले जा रहे है. ये पत्थर के टुकड़े भारी कणों को सोख लेंगे और नदी में गिरने से रोकेंगे.
यमुना के घाटों पर अगले कुछ दिनों में लाल पत्थरों से गुंबद बनाया जाएगा. यमुना घाटों के कायाकल्प का कार्य जोर-शोर से चल रहा है.
लोग यमुना नदी में कचरा न फेंक सकें, इसके लिए टेरिटोरियल आर्मी की मदद ली जा रही है. टेरिटोरियल आर्मी चप्पे चप्पे पर नजर रख रही है.