जानिए नॉर्मल पटाखों से कितने अलग हैं ग्रीन पटाखे

4rth Novemeber 2021 By: Sachin Dhar Dubey




दीपावली आने वाली है और इस त्योहार पर पटाखे छुड़ाने की पुरानी परंपरा है. 

हालांकि, प्रदूषण फैलाने वाले और तेज आवाज वाले पटाखों की अनुमति नहीं होती.

लेकिन प्रदूषण के खतरे के चलते कई राज्यों में पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया है.


हालांकि, कुछ राज्यों में ग्रीन पटाखे बेचने और इस्तेमाल करने की अनुमति है. नेचर फ्रेंडली ग्रीन पटाखे सामान्य पटाखों की तुलना में कम प्रदूषण फैलाते हैं.


ग्रीन पटाखे ना सिर्फ आकार में छोटे होते हैं, बल्कि इन्हें बनाने में रॉ मैटीरियल (कच्चा माल) का भी कम इस्तेमाल होता है. 

ग्रीन पटाखों में पार्टिक्यूलेट मैटर (PM) का विशेष ख्याल रखा जाता है ताकि धमाके के बाद कम से कम प्रदूषण फैले. 

ग्रीन क्रैकर्स से करीब 20 प्रतिशत पार्टिक्यूलेट मैटर निकलता है जबकि 10 प्रतिशत गैसें उत्सर्जित होती है. 

ये गैसें पटाखे की संरचना पर आधारित होती हैं. ग्रीन पटाखों के बॉक्स पर बने क्यूआर कोड को NEERI नाम के एप से स्कैन करके इनकी पहचान की जा सकती है. 

पटाखों से बाहर निकलने वाले पार्टिक्यूलेट मैटर शरीर के अंदर चले जाते हैं और फेफड़ों में फंस जाते हैं. 

हार्ट डिसीज या अस्थमा जैसी बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए यह बेहद जानलेवा हो सकता है. 

ओडिशा सरकार ने त्योहारों के मौसम में पटाखों की बिक्री पर पाबंदी लगा दी है. 


राज्य सरकार ने लोगों की सेहत का ख्याल रखते हुए और इंफेक्शन को फैलने से रोकने के लिए फेस्टिवल सीजन में पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगा दी है.

दिल्ली की पॉल्यूशन कंट्रोल कमिटी (DPCC) ने भी 1 जनवरी 2022 तक पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. 

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था जिसमें कोविड-19 महामारी के दौरान उन इलाकों में पटाखों की बिक्री  और उपयोग पर पाबंदी लगाई गई थी.

राजस्थान सरकार ने भी राज्य में लगे पटाखों पर बैन के बीच एक एडवाइजरी जारी करते हुए केवल ग्रीन पटाखों की बिक्री को अनुमति दी है. 

साथ ही फेस्टिवल सीजन में पटाखे छुड़ाने की समय सीमा भी निर्धारित की गई है.

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