खुदा किसी की मोहब्बत पे मुस्कुराया है... शायर बशीर बद्र के चुनिंदा शेर

2 Nov 2023

By अतुल कुशवाह

मशहूर शायर बशीर बद्र 15 फरवरी 1935 को अयोध्या में जन्मे थे. उन्होंने कई किताबें लिखीं. उन्होंने गजल में नए जमाने के मनोभाव व्यक्त किए. रोजमर्रा के अनुभव शामिल किए.

शायर बशीर बद्र

Photo: Social Media

कहां से आई ये खुशबू ये घर की खुशबू है इस अजनबी के अंधेरे में कौन आया है महक रही है जमीं चांदनी के फूलों से खुदा किसी की मोहब्बत पे मुस्कुराया है.

इतनी मिलती है मेरी गजलों से सूरत तेरी लोग तुझको मेरा महबूब समझते होंगे.

तुम मुझे छोड़ के जाओगे तो मर जाऊंगा यूं करो जाने से पहले मुझे पागल कर दो.

पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला मैं मोम हूं उसने मुझे छूकर नहीं देखा.

मैं जब सो जाऊं इन आंखों पे अपने होंट रख देना यकीं आ जाएगा पलकों तले भी दिल धड़कता है.

जिस दिन से चला हूं मेरी मंजिल पे नजर है आंखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं तुमने मेरा कांटों भरा बिस्तर नहीं देखा.

सर से पा तक वो गुलाबों का शजर लगता है बा-वजू होके भी छूते हुए डर लगता है मैं तेरे साथ सितारों से गुजर सकता हूं कितना आसान मोहब्बत का सफर लगता है.

मुझे मालूम है उसका ठिकाना फिर कहां होगा परिंदा आसमां छूने में जब नाकाम हो जाए उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो न जाने किस गली में जिंदगी की शाम हो जाए.