16 June 2024
By अतुल कुशवाह
हमें पढ़ाओ न रिश्तों की कोई और किताब पढ़ी है बाप के चेहरे की झुर्रियां हमने. मुझको थकने नहीं देता ये जरूरत का पहाड़ मेरे बच्चे मुझे बूढ़ा नहीं होने देते. (मेराज फैजाबादी)
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अजीज तर मुझे रखता है वो रगे जां से ये बात सच है मेरा बाप कम नहीं मां से. (ताहिर शहीर) उनके होने से बख्त होते हैं बाप घर के दरख्त होते हैं. (अज्ञात)
मुझको छांव में रखा और खुद भी वो जलता रहा मैंने देखा इक फरिश्ता बाप की परछाईं में. (अज्ञात) घर की इस बार मुकम्मल मैं तलाशी लूंगा गम छिपाकर मेरे मां-बाप कहां रखते थे. (साजिद जावेद साजिद)
ये सोच के मां-बाप की खिदमत में लगा हूं इस पेड़ का साया मेरे बच्चों को मिलेगा. (मुनव्वर राना) मैंने हाथों से बुझाई है दहकती हुई आग अपने बच्चे के खिलौने को बचाने के लिए. (शकील जमाली)
मुद्दत के बाद ख्वाब में आया था मेरा बाप और उसने मुझ से इतना कहा खुश रहा करो. (अब्बास ताबिश) बाप जीना है जो ले जाता है ऊंचाई तक मां दुआ है जो सदा साया फिगन रहती है. (सरफराज नवाज)
इश्क में जीत के आने के लिए काफी हूं मैं निहत्था ही जमाने के लिए काफी हूं मेरे बच्चों मुझे दिल खोल के तुम खर्च करो मैं अकेला ही कमाने के लिए काफी हूं. (राहत इंदौरी)
शाम को जिस वक्त खाली हाथ घर जाता हूं मैं मुस्करा देते हैं बच्चे और मर जाता हूं सारी दुनिया से अकेले जूझ लेता हूं कभी और कभी अपने ही साये से भी डर जाता हूं मैं. (राजेश रेड्डी)
ऐसा नहीं कि अपना बुरा वक्त कट गया खुद्दारी जाग उठी तो दामन सिमट गया बस्ती के इक बुजुर्ग की मैय्यत को देखकर मैं अपने बूढ़े बाप से जाकर लिपट गया. (जौहर कानपुरी)
हर एक दर्द वो चुपचाप खुद पे सहता है तमाम उम्र वो अपनों से कट के रहता है वो लौटता है कहीं रात देर को दिनभर वजूद उसका पसीने में ढल के बहता है. (ताहिर शहीर)