शहरयार का मूल नाम अखलाक मोहम्मद खान शहरयार था. उनका जन्म 16 जून 1936 को उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में हुआ था. उन्होंने फिल्म उमराव जान में गीत लिखे.
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हमारी आंख में नक्शा ये किस मकान का है यहां का सारा इलाका तो आसमान का है कहा है उसने तो गुजरेगा जिस्म से होकर यकीन यूं है वो पक्का बहुत जबान का है.
गुलाब जिस्म का यूं ही नहीं खिला होगा हवा ने पहले तुझे फिर मुझे छुआ होगा मेरी पसंद पे तुझ को भी रश्क आएगा कि आइने से जहां तेरा सामना होगा.
बहते दरियाओं में पानी की कमी देखना है उम्रभर मुझको यही तिश्ना लबी देखना है रंज दिल को है कि जी भर के नहीं देखा तुझे खौफ इसका था जो आइंदा कभी देखना है.
शिकवा कोई दरिया की रवानी से नहीं है रिश्ता ही मेरी प्यास का पानी से नहीं है दोहराता नहीं मैं भी गए लोगों की बातें इस दौर को निस्बत भी कहानी से नहीं है.
दिल में रखता है न पलकों पे बिठाता है मुझे फिर भी इक शख्स में क्या क्या नजर आता है मुझे रात का वक्त है सूरज है मेरा राहेनुमा देर से दूर से ये कौन बुलाता है मुझे.
दिल चीज क्या है आप मेरी जान लीजिए बस एक बार मेरा कहा मान लीजिए कहिए तो आसमां को जमीं पर उतार लाएं मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिए.
पहले नहाई ओस में फिर आंसुओं में रात यूं बूंद-बूंद उतरी हमारे घरों में रात बे सम्त मंजिलों ने बुलाया है फिर हमें सन्नाटे फिर बिछाने लगी रास्तों में रात.
वो बेवफा है हमेशा ही दिल दुखाता है मगर हमें तो वही एक शख्स भाता है जगह जो दिल में नहीं है मेरे लिए न सही मगर ये क्या कि भरी बज्म से उठाता है.