9 Feb 2024
By अतुल कुशवाह
आसिमा ताहिर का जन्म साल 1990 में पाकिस्तान लाहौर में हुआ था. वे पाकिस्तान की युवा कवयित्रियों में शुमार की जाती हैं. उनकी गजलों में एक अलग अंदाज देखने को मिलता है.
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शाम खुलती है तेरे आने से लब पे तेरा सवाल रखती है एक लड़की उदास सफ्हों में इक जजीरा संभाल रखती है. (जजीरा- टापू)
अपनी आंखें जो बंद कर देखूं सब्ज ख्वाबों का मैं सफर देखूं डूबने की न तैरने की खबर इश्क दरिया में बस उतर देखूं.
शाम दिल को बुझाए जाती है तेरी बातें सुनाए जाती है जिंदगी लाडली सी शहजादी मेरा आंचल उड़ाए जाती है.
चांद को तैश आ रहा है कि मैं क्यों नजर को मिलाए बैठी हूं चुभ रही है अंधेरी रात मुझे हर सितारा बुझाए बैठी हूं.
किसके मातम में रो रही है रात छिपके बांहों में सो रही है रात रोशनी ने लगाए जो इल्जाम बहती आंखों से धो रही है रात.
सुनहरी धूप से चेहरा निखार लेती हूं उदासियों में भी खुद को संवार लेती हूं कभी कभी मुझे खुद पर यकीं नहीं होता कभी कभी मैं खुदा को पुकार लेती हूं.
हमें भी मुस्कुराना चाहिए था मगर कोई बहाना चाहिए था मोहब्बत रेल की पटरी नहीं थी कहीं तो मोड़ आना चाहिए था.
सदियों को बेहाल किया था इक लम्हे ने सवाल किया था खुशबू जैसी रात ने मेरा अपने जैसा हाल किया था.