7 Feb 2024
By अतुल कुशवाह
अदा जाफरी का मूल नाम अजीज जहां था. उनका जन्म 22 अगस्त 1924 को उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में हुआ था. विभाजन के बाद उनका परिवार पाकिस्तान चला गया.
Photo: social media/pexels
कोई खबर भी न भेजी बहार ने आते कि हम भी किस्मते मिज़्गां संवारने आते ये जिंदगी है हर इक पैरहन में सजती है नहीं थी जीत नसीबों में हारने आते. (किस्मते मिज़्गां- भाग्य)
क्या जानिए किस बात पे मगरूर रही हूं कहने को तो जिस राह चलाया है चली हूं तुम पास नहीं हो तो अजब हाल है दिल का यूं जैसे मैं कुछ रख के कहीं भूल गई हूं.
उजाला दे चरागे रहगुजर आसां नहीं होता, हमेशा हो सितारा हमसफर आसां नहीं होता जो आंखों ओट है चेहरा उसी को देख कर जीना, ये सोचा था कि आसां है मगर आसां नहीं होता.
वैसे ही खयाल आ गया है या दिल में मलाल आ गया है मुद्दत हुई कुछ न देखने का आंखों को कमाल आ गया है.
जो चराग सारे बुझा चुके उन्हें इंतजार कहां रहा, ये सुकूं का दौरे शदीद है कोई बेकरार कहां रहा कोई बात ख्वाबो खयाल की जो करो तो वक्त कटेगा अब, हमें मौसमों के मिजाज पर कोई एतबार कहां रहा.
एक आईना रूबरू है अभी उसकी खुशबू से गुफ्तगू है अभी दिल के गुंजान रास्तों पे कहीं तेरी आवाज और तू है अभी. गुंजान- सघन
घर का रस्ता भी मिला था शायद राह में संगे वफा था शायद इस कदर तेज हवा के झोंके शाख पर फूल खिला था शायद.
हवा तो हमसफर ठहरी समझ में किस तरह आए, हवाओं का हमारी राह में दीवार हो जाना हमारे शहर के लोगों का अब अहवाल इतना है, कभी अखबार पढ़ लेना कभी अखबार हो जाना. (अहवाल- हालत)