Holi Shayari: तेरे गालों पे जब गुलाल लगा, ये जहां मुझको लाल लाल लगा

24 Mar 2024

By अतुल कुशवाह

होली परंपरा का सबसे सजल और निर्मल उत्सव है. मन प्रफुल्लित हो जाता है. फागुनी वातास में प्रकृति झूमने लगती है. रंग सरिताओं के इस पर्व पर हम शायरी के रंग लेकर आए हैं. हम कामना करते हैं कि आप सबका का खुशियों से जीवन का औचक अभिषेक होता रहे.

होली पर शायरी

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गले मुझको लगा लो ऐ मेरे दिलदार होली में, बुझे दिल की लगी भी तो ऐ मेरे यार होली में गुलाबी गाल पर कुछ रंग मुझको भी जमाने दो मनाने दो मुझे भी जानेमन त्योहार होली में. (भारतेंदु हरिश्चंद्र)

सांस लेता हुआ हर रंग नजर आएगा तुम किसी रोज मेरे रंग में आओ तो सही. अजीज नबील

बहुत ही खुश्की में गुजरी है इस बरस होली गिला है तुझसे कि गीला नहीं किया मुझको. (साबिर आफाक) *********** मुंह पर नकाबे जर्द हर इक ज़ुल्फ पर गुलाल होली की शाम ही तो सहर है बसंत की. (लाला माधव राम जौहर)

बहार आई कि दिन होली के आए गुलों में रंग खेला जा रहा है. (जलील मानिकपुरी) *********** लबे दरिया पे देख आकर तमाशा आज होली का, भंवर काले के दफ बाजे है मौजे यार पानी में. (शाह नसीर)

तेरे गालों पे जब गुलाल लगा ये जहां मुझको लाल लाल लगा. (नासिर अमरोहवी) ********** वो आए तो रंग संवरने लगते हैं जैसे बिछड़ा यार भी कोई मौसम है.  (फरहत जाहिद)

कितनी रंगीनियों में तेरी याद किस कदर सादगी से आती है. (फरीद जावेद) ********** मुहैया सब है अब अस्बाबे होली  उठो यारो भरो रंगों से झोली.  (शेख जहूरूद्दीन हातिम)

मैं दूर था तो अपने ही चेहरे पे मल लिया इस जिंदगी के हाथ में जितना गुलाल था. (अमीर कजलबाश) ********** तू भी देखेगा जरा रंग उतर लें तेरे हम ही रखते हैं तुझे याद कि सब रखते हैं. (इकबाल खावर)

सजनी की आंखों में छिपकर जब झांका बिन होली खेले ही साजन भीग गया. (मुसव्विर सब्ज़वारी) ********* साकी कुछ आज तुझको खबर है बसंत की हर सू बहार पेश ए नजर है बसंत की. (उफुक लखनवी)