हम अकबर हैं हमारे दिल में जोधाबाई रहती है... यादों में रहेंगे मुनव्वर राना के ये शेर

17 Jan 2024

By अतुल कुशवाह

मशहूर शायर मुनव्वर राना 26 नवंबर 1952 को रायबरेली में जन्मे थे. 14 जनवरी 2024 की देर रात 71 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. शायरी को चाहने वालों के लिए मुनव्वर राना के शेर एक पूंजी के रूप में याददाश्त में रहेंगे. 

शायर मुनव्वर राना

हमारी दोस्ती से दुश्मनी शर्माई रहती है हम अकबर हैं हमारे दिल में जोधाबाई रहती है. खुदा महफूज रखे मुल्क को गंदी सियासत से शराबी देवरों के बीच में भौजाई रहती है.

बस इक दिन फूटकर रोया था मैं तेरी मुहब्बत में मगर आवाज मेरी आजतक भर्राई रहती है. गिले शिकवे जरूरी हैं अगर सच्ची मोहब्बत है जहां पानी बहुत गहरा हो थोड़ी काई रहती है.

मौला ये तमन्ना है कि जब जान से जाऊं जिस शान से आया हूं उसी शान से जाऊं क्या सूखे हुए फूल की किस्मत का भरोसा मालूम नहीं कब तेरे गुलदान से जाऊं.

ये कौन कहता है इंकार करना मुश्किल है मगर जमीर को थोड़ा जगाना पड़ता है मुशायरा भी तमाशा मदार शाह का है यहां हर एक को करतब दिखाना पड़ता है.

जो देर थी कफस से निकलने की देर थी फिर आसमान सारा कबूतर का हो गया. कलंदर संगमरमर के मकानों में नहीं मिलता मैं असली घी हूं, बनिए की दुकानों में नहीं मिलता

कुछ खिलौने कभी आंगन में दिखाई देते काश हम भी किसी बच्चे को मिठाई देते सूने पनघट का कोई दर्दभरा गीत थे हम शहर के शोर में क्या तुझ को सुनाई देते.

छांव मिल जाए तो कम दाम में बिक जाती है अब थकन थोड़े से आराम में बिक जाती है आप क्या मुझ को नवाजेंगे जनाबे आली सल्तनत तक मेरे ईनाम में बिक जाती है.

सारी दुनिया का सफर ख्वाब में कर डाला है कोई मंजर हो मिरा देखा हुआ होता है खौफ में डूबे हुए शहर की किस्मत है यही मुंतजिर रहता है हर शख्स कि क्या होता है.