5 April, 2022

INS विक्रांत: भारत को मिला 'समंदर का बादशाह', जानें खूबियां 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहला स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत INS Vikrant नौसेना को सौंप दिया है. 

Pic Credit: urf7i/instagram

कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड कोच्चि में शुक्रवार को यह स्वदेशी युद्धपोत भारतीय नौसेना में कमीशन हो गया. 

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आईएनएस विक्रांत को बनने में 13 साल लगे. इसे 2009 में बनाना शुरू किया गया था. इसका वजन 45000 टन है. 

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इसे बनाने में एफिल टावर के वजन से चार गुना ज्यादा लोहा, स्टील लगा है. इसकी लंबाई 262 मीटर, चौड़ाई 62 मीटर है. 

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यह एयक्राफ्ट करियर फुटबॉल के दो मैदान के बराबर है. इसमें एक साथ 30 एयरक्रॉफ्ट तैनात हो सकते हैं.

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इसमें 76% स्वदेशी उपकरण लगे हैं. इसमें 2400 किमी केबल लगी है. यानी केबल कोच्चि से दिल्ली तक पहुंच सकती है.

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भारत अब उन देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास स्वदेशी विमानवाहक पोत के डिजाइन और निर्माण की क्षमता है.

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विक्रांत से हल्के हेलिकाप्टर, लड़ाकू विमानों से लेकर मल्टी रोल हेलिकाप्टरों समेत 30 विमानों को संचालित कर सकते हैं. 

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यह 20,000 करोड़ की लागत से बना है. विक्रांत में 2,300 कंपार्टमेंट के साथ 14 डेक हैं जो 1,500 जवानों को ले जा सकती है. 

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इस युद्धपोत में 88 मेगावाट बिजली की चार गैस टर्बाइनें लगी हैं और इसकी अधिकतम गति 28 समुद्री मील है. 

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