By Aajtak.in
25 साल की सलोनी जैन दीक्षा ग्रहण करने के बाद साध्वी बन गई हैं.
सलोनी ने सभी सुख-सुविधाओं को त्याग कर दिया और दीक्षा ग्रहण कर संयम के मार्ग को चुना है.
दीक्षा उत्सव में 5 दिन तक धार्मिक आयोजन किए गए
इन धार्मिक आयोजनों के दौरान सलोनी ने सांसारिक वस्तुओं को लूटा -लुटा कर उनका त्याग किया.
दीक्षा ग्रहण करने के बाद सलोनी जैन का नाम साध्वी मुक्ति दर्शना श्रीजी हो गया है.
उत्सव के मुख्य दिन सलोनी प्रभु के रथ, इंद्र ध्वजा, सजे-धजे परिधान में महिला मंडल, बग्गी, घोड़े समेत समाज-जनों के साथ यात्रा पर निकली थीं.
सलोनी का कहना है '' यह सारा जीवन असार है, संयम में ही सार है.''