प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहला स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत INS Vikrant नौसेना को सौंप दिया है.
आईएसी विक्रांत एक से बढ़कर खतरनाक हथियारों से लैस है. इससे देश की समुद्री सीमाएं और महफूज होंगी.
आईएसी विक्रांत की वजह से देश के दुश्मन समुद्र की तरफ से कोई भी हरकत करने से पहले कई बार सोचेंगे.
आईएसी विक्रांत पर बराक-8 मिसाइलें लगी हैं, जो आधा किलोमीटर से लेकर 100 किलोमीटर तक दागी जा सकती हैं.
विक्रांत पर AK 630 प्वाइंट डिफेंस सिस्टम गन लगी है. टारगेट जिधर जाता है, उधर ही घूमकर उसपर हमला करती है.
ऐसा कहा जा रहा है कि भविष्य में इसमें ब्रह्मोस मिसाइलें भी लगाई जा सकती हैं. ब्रह्मोस की ताकत से पूरी दुनिया वाकिफ है.
इसे बनाने में एफिल टावर के वजन से चार गुना ज्यादा लोहा, स्टील लगा है. इसकी लंबाई 262 मीटर, चौड़ाई 62 मीटर है.
यह एयक्राफ्ट करियर फुटबॉल के दो मैदान के बराबर है. इसमें एक साथ 30 एयरक्रॉफ्ट तैनात हो सकते हैं.
इसमें 76% स्वदेशी उपकरण लगे हैं. इसमें 2400 किमी केबल लगी है. यानी केबल कोच्चि से दिल्ली तक पहुंच सकती है.
विक्रांत से हल्के हेलिकाप्टर, लड़ाकू विमानों से लेकर मल्टी रोल हेलिकाप्टरों समेत 30 विमानों को संचालित कर सकते हैं.