इसरो अपने पहले सूर्य के मिशन की लॉन्चिंग की तैयारी कर चुका है. Aditya-L1 पीएसएलवी-एक्सएल रॉकेट की नाक पर बैठ कर अंतरिक्ष में जाने के लिए तैयार है. आज सुबह 11:04 पर लॉन्चिंग हो जाएगी.
PSLV-C57 रॉकेट भारत के पहले मिशन सन को सिर पर उठाकर लॉन्च पैड की ओर बढ़ चला है. लॉन्चिंग की सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं.
Aditya-L1 को इसरो का सबसे भरोसेमंद रॉकट PSLV-C57 धरती की लोअर अर्थ ऑर्बिट में छोड़ेगा. इसके बाद तीन या चार ऑर्बिट मैन्यूवर करके सीधे धरती की गुरुत्वाकर्षण वाले क्षेत्र यानी स्फेयर ऑफ इंफ्लूएंस (SOI) से बाहर जाएगा.
इसके बाद आदित्य-L1 को हैलो ऑर्बिट (Halo Orbit) में डाला जाएगा. जहां पर L1 प्वाइंट होता है. यह प्वाइंट सूरज और धरती के बीच में स्थित होता है. लेकिन सूरज से धरती की दूरी की तुलना में मात्र 1 फीसदी है.
इस यात्रा में इसे 127 दिन लगने वाले हैं. इसे कठिन इसलिए माना जा रहा है क्योंकि इसे दो बड़े ऑर्बिट में जाना है.
पहली कठिन ऑर्बिट है धरती के SOI से बाहर जाना. क्योंकि पृथ्वी अपने गुरुत्वाकर्षण शक्ति से उसके आसपास हर चीज को खींचती है. इसके बाद है क्रूज फेज और हैलो ऑर्बिट में L1 पोजिशन को कैप्चर करना.
अगर यहां उसकी गति को नियंत्रित नहीं किया गया तो वह सीधे सूरज की तरफ चलता चला जाएगा. और जलकर खत्म हो जाएगा.
सूरज की अपनी ग्रैविटी है. यानी गुरुत्वाकर्षण शक्ति. धरती की अपनी ग्रैविटी है. अंतरिक्ष में जहां पर इन दोनों की ग्रैविटी टकराती है. या यूं कहें जहां धरती की ग्रैविटी खत्म होती है.
वहां से सूरज की ग्रैविटी का असर शुरू होता है. इसी प्वाइंट को लैरेंज प्वाइंट (Lagrange Point) कहते हैं. भारत का Aditya-L1 लैरेंज प्वाइंट वन यानी L1 पर तैनात होगा.
दोनों की ग्रैविटी की जो सीमा है वहां कोई छोटी वस्तु लंबे समय तक रह सकती है. वह दोनों की ग्रैविटी के बीच फंसी रहेगी. इससे स्पेसक्राफ्ट का ईंधन कम इस्तेमाल होता है और वह ज्यादा दिन काम करता है.