6 Mar 2024
By अतुल कुशवाह
अंकिता सिंह ने इंजीनियरिंग की है. हिंदी कविता के प्रति जुनून के चलते उन्होंने पूरी तरह अलग राह चुनी. अंकिता ने भारत के साथ ही विदेशों में जाने-माने कवियों के साथ काव्यपाठ किया है.
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जिसको इश्क हो जाए भला कैसे वो सोएगी कभी मुस्काएगी छुप-छुप कभी तकिया भिगोएगी बड़े नादान हो तुम तो जरा समझा करो बातें गले मिलकर जो रोती है बिछड़कर कितना रोएगी.
भूल जाने में उसे थोड़ी कसर रखते हैं चुपके-चुपके ही सही उसपे नजर रखते हैं मुस्कराहट भी हमारी नहीं पढ़ पाए आप और हम आपके अश्कों की खबर रखते हैं.
अजब है इश्क में उसका यकीं भी मैं उसको चाहिए भी हूं, नहीं भी खुदा तुम भी किसी के हो न पाए नहीं झुकती कहीं अब ये जबीं भी.
तेरी बातों के फूलों से गजल मखदूम करती हूं, मैं चुपके से तेरी डीपी को जब भी जूम करती हूं. मैं अपने जख्म पर अश्कों की खुद बरसात करती हूं, अकेले बैठकर तुमको कभी जब याद करती हूं.
मुझको तुमने वजूद में लाया सो कभी तुम न अजनबी कहना काट देता घना अंधेरा भी आपका मुझको रोशनी कहना.
अपने हिस्से का सारा गम लेकर बैठे हैं धूप अधिक हम छांव बहुत कम लेकर बैठे हैं खिंचकर आते हैं सारे गम हंसती आंखों से सो अपनी ये दो आंखें नम लेकर बैठे हैं.
तमन्ना की इकाई गर दहाई में बदल जाए पहाड़े सा मेरा जीवन रुबाई में बदल जाए तुम अपने अंक में ले लो तो मेरा शून्य सा जीवन, सफलता की किसी स्वर्णिम इकाई में बदल जाए.
बहुत चाहा मगर जज्बात की आंधी नहीं रुकती हमारे दिल पे जो चलती है वो आरी नहीं रुकती तुम्हारे बिन हमारी रात के बस दो ही किस्से हैं कभी हिचकी नहीं रुकती कभी सिसकी नहीं रुकती.