हुस्न का एहतराम होता है... मजाज के चुनिंदा शेर जीत लेंगे दिल

24 Dec 2023

By अतुल कुशवाह

मशहूर शायर मजाज का मूल नाम असरार उल हक था. उनका जन्म 19 अक्टूबर 1911 को उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में हुआ था. मजाज मशहूर गीतकार जावेद अख्तर के मामा थे.

असरार उल हक मजाज

Photo: social media/pexels

जिगर और दिल को बचाना भी है नजर आप ही से मिलाना भी है मुझे आज साहिल पे रोने भी दो कि तूफान में मुस्कुराना भी है.

खामोशी का तो नाम होता है वरना यूं भी कलाम होता है इश्क को पूछता नहीं कोई हुस्न का एहतराम होता है.

कमाले इश्क है दीवाना हो गया हूं मैं ये किसके हाथ से दामन छुड़ा रहा हूं मैं बताने वाले वहीं पर बताते हैं मंजिल हजार बार जहां से गुजर चुका हूं मैं.

बहुत मुश्किल है दुनिया का संवरना तेरी जुल्फों का पेचो खम नहीं है बहुत कुछ और भी है इस जहां में ये दुनिया महज गम ही गम नहीं है.

हुस्न को बेहिजाब होना था शौक को कामयाब होना था तेरे जलवों में घिर गया आखिर जर्रे को आफताब होना था.

कभी साहिल पे रहकर शौक तूफानों से टकराएं, कभी तूफां में रहकर फिक्र है साहिल नहीं मिलता. ये आना कोई आना है कि बस रस्मन चले आए, ये मिलना खाक मिलना है कि दिल से दिल नहीं मिलता.

सीने में उनके जलवे छुपाए हुए तो हैं हम अपने दिल को तूर बनाए हुए तो हैं तेरे गुनाहगार गुनाहगार ही सही तेरे करम की आस लगाए हुए तो हैं.

मुझको ये आरजू वो उठाएं नकाब खुद उनको ये इंतजार तकाजा करे कोई या तो किसी को जुरअते दीदार ही न हो या फिर मेरी निगाह से देखा करे कोई.