23 Feb 2024
By अतुल कुशवाह
तरकश प्रदीप का मूल नाम प्रदीप कुमार है. उनका जन्म 24 सितंबर 1984 को पंजाब में हुआ. उनकी शायरी पर मुशायरों में खूब दाद मिलती है. सोशल मीडिया पर भी उनके शेर वायरल होते हैं.
Photo: Facebook/Pexels
कई अंधेरों के मिलने से रात बनती है और इसके बाद चरागों की बात बनती है बनाता हूं मैं तसव्वुर में उसका चेहरा मगर हर एक बार नई कायनात बनती है.
तू मेरा दोस्त मेरा यार है नहीं है क्या तेरे भी दिल में बहुत प्यार है नहीं है क्या जरा सी बात पे मैं तुमसे रूठ जाता हूं ये मेरे इश्क का इजहार है नहीं है क्या.
ऐ मेरे दिल तू बता तुझको गवारा क्या है जो तेरा दर्द है सो है बता चारा क्या है अपनी बाबत कभी पूछा तो बताएंगे उसे डूबने वालों को तिनके का सहारा क्या है.
मुझे पता है बस इतना कि प्यार करना है और एक बार नहीं बार बार करना है तुझे गले से लगा के भी देखा जाएगा अभी तो मुझको तेरा इंतजार करना है.
हुस्न होता है किसी शय का कोई अपना ही और फिर देखने वाले की नजर होती है हम नहीं तीरगी से खौफजदा होने के जानते हैं कि हर एक शब की सहर होती है.
अपने दम से गुजर औकात नहीं करता मैं कैसे कह दूं कि गलत बात नहीं करता मैं आज फिर खुद से खफा हूं तो यही करता हूं आज फिर खुद से कोई बात नहीं करता मैं.
काम कुछ ऐसे कर गया हूं मैं अपनी आंखों को भर गया हूं मैं जिंदगी तुझसे बात करनी है जिंदगी तुझ से डर गया हूं मैं.
हम तो कहते हैं मोहब्बत में मजा है ही नहीं आप कहते हैं तो फिर मान लिया जाता है आपने भूल के हमको जो सुकूं बख्शा है आपका आखिरी एहसान लिया जाता है.