जो पर्दादारी चली तो यारी नहीं चलेगी... दिल छू लेंगे ये चुनिंदा शेर

31 Dec 2023

By अतुल कुशवाह

आशू मिश्रा का जन्म 4 जनवरी 1993 को उत्तर प्रदेश के दातागंज बदायूं में हुआ. इन दिनों वे बरेली में रहते हैं. आशू मुशायरों में अलग पहचान रखते हैं. उनके तमाम शेर सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं.

शायर आशू मिश्रा

Photo: Facebook/pexels

तुम्हारे साथ ये किस्सा कभी कभार का है मगर ये हिज्र मेरे साथ बार-बार का है हमारे दरमियां इक शक की फिल्म है जिसमें कहीं कहीं पे कोई सीन एतबार का है.

मेरे सुखन में तभी फलसफा ज्यादा है कि मैंने लिखा बहुत कम पढ़ा ज्यादा है ये एक पल की वफा मुद्दतों का रोना है जरा से जुर्म की इतनी सजा ज्यादा है.

तुम्हारी शक्ल किसी शक्ल से मिलाते हुए मैं खो गया हूं नया रास्ता बनाते हुए इसी गुमान में शब भर शराब पीते रहे कि अब वो हाथ को रोकेगा हक जताते हुए.

दिल को अब हिज्र के लम्हात में डर लगता है घर अकेला हो तो फिर रात में डर लगता है जिस्म की आग को बारिश से हवा मिलती है साथ में तू हो तो बरसात में डर लगता है.

निकलते थे हमारे बात के मतलब हजारों जो कहना चाहते थे वो बयां होता नहीं था खुदा भी साथ रहता था हमारे इस जमीं पर ये तब की बात है जब आसमां होता नहीं था.

जो पर्दादारी चली तो यारी नहीं चलेगी हमारी दुनिया में दुनियादारी नहीं चलेगी तुम्हारे जाने पे दिल का दफ्तर समेट लेंगे फिर इस सड़क पर कोई सवारी नहीं चलेगी.

बैठना साहिल पे दरिया की रवानी देखना और खाली वक्त में फिल्में पुरानी देखना इंतिहाई सुख किन्हीं आखों में मेरे ख्वाब हों इंतिहाई दुख उन्हीं आंखों में पानी देखना.

भटके मुसाफिरों का सहारा बने रहो तुम अजनबी सफर में सितारा बने रहो मेरे नहीं हो अब तो किसी कैनवस पे तुम कम कम बनो या सारे का सारा बने रहो.