भीगने वालों को कल क्या क्या परेशानी हुई... पढ़ें बारिश पर खूबसूरत शेर

28 June 2024

By अतुल कुशवाह

बारिश के मौसम में आसमान से गिरती बूंदें और ठंडी हवा जितना लुत्फ देती है, कुछ चुनिंदा शायरों के बारिश पर कहे गए शेर भी आपको लुत्फ देंगे. इस मौसम में हम आपके लिए लेकर आए हैं कुछ खास शेर.

बारिश पर चुनिंदा शेर

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इक नजर जो भी देख ले तुझको वो तेरे ख्वाब देखता रह जाए कोई कमरे में आग तापता हो कोई बारिश में भीगता रह जाए. (तहजीब हाफी)

तमाम रात नहाया था शहर बारिश में वो रंग उतर ही गए जो उतरने वाले थे. उसने बारिश में भी खिड़की खोल के देखा नहीं भीगने वालों को कल क्या क्या परेशानी हुई. (जमाल एहसानी)

मैं वो सहरा जिसे पानी की हवस ले डूबी तू वो बादल जो कभी टूट के बरसा ही नहीं. (सुल्तान अख्तर) धूप ने गुजारिश की एक बूंद बारिश की. (मोहम्मद अल्वी)

गुनगुनाती हुई आती हैं फलक से बूंदें कोई बदली तिरी पाजेब से टकराई है. दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था. (कतील शिफाई)

ओस से प्यास कहां बुझती है मूसलाधार बरस मेरी जान. (राजेन्द्र मनचंदा बानी) दफ्तर से मिल नहीं रही छुट्टी वगर्ना मैं बारिश की एक बूंद न बेकार जाने दूं. (अजहर फराग)

बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है. (निदा फाजली) हम तो समझे थे कि बरसात में बरसेगी शराब आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया. (सुदर्शन फाकिर)

टूट पड़ती थीं घटाएं जिनकी आंखें देखकर वो भरी बरसात में तरसे हैं पानी के लिए. (सज्जाद बाकर रिजवी) कच्चे मकान जितने थे बारिश में बह गए वर्ना जो मेरा दुख था वो दुख उम्र भर का था. (अख़्तर होशियारपुरी)

अब भी बरसात की रातों में बदन टूटता है जाग उठती हैं अजब ख्वाहिशें अंगड़ाई की. (परवीन शाकिर) हमसे पूछो मिजाज बारिश का हम जो कच्चे मकान वाले हैं. (अशफाक अंजुम)