गीतकार गुलजार का मूल नाम सम्पूरण सिंह कालरा है. उनका जन्म 18 अगस्त 1936 को पंजाब के दीना झेलम में हुआ था. उन्होंने कई फिल्मों का निर्देशन भी किया है. पेश हैं उनके कुछ चुनिंदा शेर.
दिन कुछ ऐसे गुजारता है कोई जैसे एहसां उतारता है कोई दिल में कुछ यूं संभालता हूं गम जैसे जेवर संभालता है कोई.
गुलों को सुनना जरा तुम सदाएं भेजी हैं गुलों के हाथ बहुत सी दुआएं भेजी हैं सियाह रंग चमकती हुई कनारी है पहन लो अच्छी लगेंगी घटाएं भेजी हैं.
एक परवाज दिखाई दी है तेरी आवाज सुनाई दी है जिंदगी पर भी कोई जोर नहीं दिल ने हर चीज पराई दी है.
बे-सबब मुस्कुरा रहा है चांद कोई साजिश छिपा रहा है चांद जाने किसकी गली से निकला है झेंपा झेंपा सा आ रहा है चांद.
बीते रिश्ते तलाश करती है खुशबू गुंचे तलाश करती है जब गुजरती है उस गली से सबा खत के पुर्जे तलाश करती है.
खुशबू जैसे लोग मिले अफसाने में एक पुराना खत खोला अनजाने में शाम के साए बालिश्तों से नापे हैं चांद ने कितनी देर लगा दी आने में.
जिंदगी यूं हुई बसर तन्हा काफिला साथ और सफर तन्हा अपने साए से चौंक जाते हैं उम्र गुजरी है इस कदर तन्हा.
शाम से आंख में नमी सी है आज फिर आपकी कमी सी है दफ्न कर दो हमें कि सांस आए नब्ज कुछ देर से थमी सी है.