और हम रोज गिरफ्तार हुआ करते थे... सलीम कौसर के चुनिंदा शेर

27 Dec 2023

By अतुल कुशवाह

सलीम कौसर का जन्म 24 अक्टूबर 1947 को हरियाणा के पानीपत में हुआ था. इसके बाद इनका परिवार पाकिस्तान चला गया. सलीम कौसर 'मैं खयाल हूं किसी और का' गजल के लिए मशहूर हैं.

शायर सलीम कौसर

Photo: Social media/pexels

कहीं तुम अपनी किस्मत का लिखा तब्दील कर लेते, तो शायद हम भी अपना रास्ता तब्दील कर लेते. अगर हम वाकई कम हौसला होते मोहब्बत में, मरज बढ़ने से पहले ही दवा तब्दील कर लेते.

तुम्हारे साथ चलने पर जो दिल राजी नहीं होता, बहुत पहले हम अपना फैसला तब्दील कर लेते तुम्हारी तरह जीने का हुनर आता तो फिर शायद, मकान अपना वही रखते पता तब्दील कर लेते.

तुमने सच बोलने की जुर्रत की ये भी तौहीन है अदालत की मेरी आंखों पे उसने हाथ रखा और इक ख्वाब की महूरत की.

तुझसे बढ़कर कोई प्यारा भी नहीं हो सकता पर तेरा साथ गवारा भी नहीं हो सकता रास्ता भी गलत हो सकता है मंजिल भी गलत हर सितारा तो सितारा भी नहीं हो सकता.

कहानी लिखते हुए दास्तां सुनाते हुए वो सो गया है मुझे ख्वाब से जगाते हुए अब इस जगह से कई रास्ते निकलते हैं मैं गुम हुआ था जहां रास्ता बताते हुए.

आइना खुद भी संवरता था हमारी खातिर हम तेरे वास्ते तैयार हुआ करते थे इक नजर रोज कहीं जाल बिछाए रखती और हम रोज गिरफ्तार हुआ करते थे.

कुर्बतें होते हुए भी फासलों में कैद हैं कितनी आजादी से हम अपनी हदों में कैद हैं शहर आबादी से खाली हो गए खुशबू से फूल और कितनी ख्वाहिशें हैं जो दिलों में कैद हैं.

मैं खयाल हूं किसी और का मुझे सोचता कोई और है, सरे आईना मेरा अक्स है पसे आईना कोई और है. तुझे दुश्मनों की खबर न थी मुझे दोस्तों का पता नहीं, तेरी दास्तां कोई और थी मेरा वाकया कोई और है.